मोतिहारी में महिला पुलिस के लिए एक नई शुरुआत, पहला पलना घर 'आंगन' शुरू
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मोतिहारी में महिला पुलिस के लिए एक नई शुरुआत, पहला पलना घर 'आंगन' शुरू

बापू की कर्मभूमि मोतिहारी की मिट्टी में कुछ ऐसी खासियत ही है कि यहां पर जो कोई भी अधिकारी जाता है वो कुछ नया करना चाहता है. मोतिहारी के डीएम ने पेड़ों को बचाने की ठानी है तो एसपी ने जिले को सुरक्षित रखने के लिए दिन रात ड्यूटी करने वाली महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक नई पहल शुरू की है. बिहार में पहला पलना घर जिसे 'आंगन' नाम दिया गया है इसकी शुरुआत हुई है. 

(फाइल फोटो)

मोतिहारी : बापू की कर्मभूमि चम्पारण हमेशा कुछ नए प्रयोग की स्थली रही है. बिहार के अन्य जिलों से अलग मोतिहारी में हमेशा किसी ना किसी तरह की नई शुरुआत पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बनती रही है. इस बार जो हुआ है वह भी प्रदेश के लिए एक नजीर है. अब यहां की महिला पुलिसकर्मी निश्चिन्त होकर अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकती है.

बापू की कर्मभूमि पूर्वी चम्पारण हमेशा नए प्रयोग के लिए जाना जाता है
बापू की कर्मभूमि पूर्वी चम्पारण हमेशा से ही कुछ नए प्रयोग करने के लिए जाना जाता है. कोरोना काल में टीकाकरण हो या फिर धरती के तापमान को बचाने के लिए पेड़ों को बचाने की मुहिम, या गार्जियन ऑफ चम्पारण का अभियान हो मोतिहारी में अधिकारी हमेशा कुछ नया प्रयोग करते रहते हैं. ये सारे प्रयोग पूरे प्रदेश और कई बार देश के लिए नजीर बनते हैं.  

महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक नई पहल की शुरुआत 
बापू की कर्मभूमि मोतिहारी की मिट्टी में कुछ ऐसी खासियत ही है कि यहां पर जो कोई भी अधिकारी जाता है वो कुछ नया करना चाहता है. मोतिहारी के डीएम ने पेड़ों को बचाने की ठानी है तो एसपी ने जिले को सुरक्षित रखने के लिए दिन रात ड्यूटी करने वाली महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक नई पहल शुरू की है. बिहार में पहला पलना घर जिसे 'आंगन' नाम दिया गया है. उसकी शुरुआत मोतिहारी के पुलिस लाइन कैम्पस में किया गया है. 

अब महिला पुलिसकर्मी अपने छोटे बच्चों की फिक्र छोड़ ड्यूटी पर रहेंगी तैनात 
मोतिहारी में अपने कर्तव्यों का पालन करने के दौरान महिला पुलिसकर्मियों को हमेशा घर में रह रहे अपने बच्चों की चिंता रहती थी. पर अब उनकी यह चिन्ता मोतिहारी के एसपी कुमार आशीष के एक पहल से खत्म हो गई है. महिला पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए अब यहां पालना घर खुला है नाम दिया गया है आंगन. 'आंगन' जैसा नाम वैसी ही व्यवस्था भी यहां पर की गई है. आंगन में बच्चों के खेलने से लेकर पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. यहां पर बच्चों की देखभाल के लिए महिला पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगाई गई है.  मां के ड्यूटी पर चले जाने के बाद घरों में परेशान होने वाले मासूम छोटे-छोटे बच्चे भी 'आंगन' में रखे खिलौने को देखकर खुशी के मारे झूम रहे हैं. आंगन में अपने बच्चों की खुशियों को देखकर महिला पुलिसकर्मी भी काफी खुश है.

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