Bettiah Samachar: प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अमितेश रंजन भी स्वास्थ्य सुविधा को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के सिर ठिकड़ा फोड़ रहे हैं, संसाधनों और व्यवस्थाओं के साथ कर्मियों की कमी का रोना रो रहे हैं और जुगाड पर भगवान भरोसे अस्पताल के संचालन की बात कर रहे हैं.
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Bettiah: सूबे में स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के चाहे लाख दावे क्यों न कर ले लेकिन सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में आज भी काफी फर्क है. नरकटियागंज अनुमंडल क्षेत्र के मलदहिया पोखरिया में सरकारी अस्पताल की स्थापना की गई ताकि ग्रामीणों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके. लेकिन भवन बनने के साथ ही खंडहर में तब्दील होकर आज तबेला बन गया है और यहां लोग मवेशी बांधकर चारा रख कर अस्पताल कि शोभा बढ़ा रहे हैं.
वहीं, दूसरी ओर गंडक दियारा के योगापट्टी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानों भगवान भरोसे चल रहा है. यहां जर्जर परित्यक्त भवन में कोविड वैक्सिनेशन (Covid Vaccination) केंद्र संचालित किया जा रहा. हालांकि, अभी टीकाकरण अभियान पर ब्रेक लग गया है, कारण है की यहां वैक्सीन खत्म हैं. बावजूद इसके लोग आ रहे हैं और खाली हाथ वापस लौट रहे हैं. लेकिन कर्मी जान जोखिम में डालकर यहां अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं.
प्रखंड के कुल 20 पंचायतों को मिलाकर करीब एक लाख की आबादी वाले इस सरकारी अस्पताल में जीएनएम समेत मानव बल और इक्यूपमेंट के घोर अभाव हैं. नतीजतन लोग निजी अस्पताल या जिला मुख्यालय बेतिया समेत सीमावर्ती यूपी के गोरखपुर में दवा इलाज करवाने को मजबुर हैं.
इधर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अमितेश रंजन भी स्वास्थ्य सुविधा को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के सिर ठिकड़ा फोड़ रहे हैं, संसाधनों और व्यवस्थाओं के साथ कर्मियों की कमी का रोना रो रहे हैं और जुगाड पर भगवान भरोसे अस्पताल के संचालन की बात कर रहे हैं.
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यहां प्रतिदिन ओपीडी सेवाएं भी प्रभावित और कभी भी ठप हो जाया करती हैं. हालांकि, इसके लिए उन्होंने जिला मुख्यालय और विभाग को पत्राचार कर डिमांड जरूर की है. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण दियारा के इलाके में लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां कूड़े-कचरे के साथ पीपीई किट (PPE Kit) समेत मेडिकल जांच में उपयोगी सामग्रियां इतर-वितर अस्पताल परिसर में फेंकी गई हैं. गंदगी के अंबार में योगापट्टी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चलाया जा रहा है.
बात इस प्रखंड के गावों की करें तो बहुअरवा पंचायत में हालात बद से बदतर दिखें. यहां गांव में दशकों पूर्व एपीएचसी बना तो जरूर लेकिन यहां भी अस्पताल भवन निर्माण के साथ अब तक विभाग को हस्तांतरित नहीं किया जा सका है. नतीजतन एपीएचसी जंगल झाड़ी और गंदगी के अंबार में यहां ताला जड़ कर इसे महज सीजनल अस्पताल बनाकर छोड़ दिया गया है. यहां ना तो कोई चिकित्सक आते हैं और ना ही दियारा के पिछड़े इलाके में लोगों को इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा मिलती है. छोटी सी बीमारी या किसी गंभीर हालत वाले मरीज को यहां से कोसो दूर जिला मुख्यालय बेतिया या सीमावर्ती यूपी की ओर पलायन करने की लाचारी है. हां जब कभी टीकाकरण अभियान की शुरूआत होती हैै तो नर्स और आशा समेत ममता द्वारा महज कागजी खानापूर्ति जरूर की जाती है.
यहां गांव से लेकर बाजार और शहर तक के सरकारी अस्पताल में किसी एपीएचसी को तबेला बना दिया गया है तो किसी में झाड़ी और घांस उग आए हैं. गंदगी से लेकर अस्पताल भवन में ताला लगाकर कर्मी नदारद हैं. तो वहीं प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिसकी गवाही खुद यहां के ग्रामीण से लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी दे रहे हैं. यहां कोविड वैक्सीन केंद्र पर कर्मी और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बिना मास्क पहने सरकारी गाइडलाइन को ताकपर रखकर ड्यूटी में तैनात हैं.
ऐसे में अब जरूरत इस बात की है कि स्वास्थ्य विभाग APHC से लेकर पीएचसी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कर्मियों के रिक्त सीटों पर बहाली करे. साथ ही जो भवन खंडहर और परित्यक्त्त हैं उन्हें समय रहते दुरुस्त कर नए भवन का निर्माण कार्य पूरा करे. जिन भवनों का निर्माण कार्य वर्षों पूर्व पुरा हो चुका है उन्हें विभाग को हस्तांतरित करें और साफ-सफाई की दिशा में सार्थक कदम उठाए. तब जाकर गांव से शहर तक स्वास्थ्य केंद्र पर लोगों को बुनियादी सुविधाएं मयस्सर हो सकेंगी.
(इनपुट- इमरान अज़ीज़)