बिहार के इस विश्वविद्यालय में 15 साल की उम्र में ही शुरू कर दी थी सरकारी नौकरी, उम्र में गड़बड़ी कर दर्जनों कर्मचारी हुए बहाल, ऐसे हुआ भंडाफोड़
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बिहार के इस विश्वविद्यालय में 15 साल की उम्र में ही शुरू कर दी थी सरकारी नौकरी, उम्र में गड़बड़ी कर दर्जनों कर्मचारी हुए बहाल, ऐसे हुआ भंडाफोड़

Bihar News: बिहार के बेतिया उम्र में गड़बड़ी कर सरकारी नौकरी करने का मामला सामने आया है. इस मामले में जांच शुरू हो गई है. कई कर्मचारियों के उम्र में गड़बड़ी पाया गया है.

उम्र में गड़बड़ी कर दर्जनों कर्मचारी हुए बहाल

बेतिया:  बेतिया में रामलखन सिंह यादव कॉलेज के कर्मियों के उम्र में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. यहां 15 साल की उम्र में सरकारी नौकरी मिल जाती है. जन्मतिथि में फर्जीवाड़ा कर दर्जनों लोगों ने नौकरी पा ली है. जिसमें दो का भंडाफोड़ हो गया और यूनिवर्सिटी में जांच शुरू हो गई है. यहां नौकरी करने के लिए ना उम्र की सीमा मायने रखती है और ना ही जन्म तिथि सरकार ने भले ही नौकरी के लिए उम्र की न्यूनतम सीमा 18 वर्ष निर्धारित की है, लेकिन कॉलेज के कई कर्मी खेलने-खाने और स्कूल में पढ़ने की उम्र से नौकरी कर रहे हैं. कई तो नौकरी पूरा कर सेवानिवृत्त हो चुके हैं और सरकार से पेंशन ले रहे हैं.

फर्जीवाड़े के बल पर कॉलेज के प्रधान सहायक विजय प्रसाद यादव के बिहार बोर्ड से जारी सर्टिफिकेट में 12 नवंबर 1969 जन्म तिथि अंकित है. 22 अक्टूबर 1985 को इनका योगदान पत्र जारी हुआ है. यानी की 16 साल 3 महीना 10 दिन में ये नौकरी करने के योग्य हो गए हैं और नौकरी भी कर रहे हैं. कॉलेज में ऐसे एक नहीं कई उदाहरण है. पूर्व प्रधान सहायक रंजीत सिंह यादव अब कॉलेज से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इन्हें हर माह पेंशन भी मिलता है बिहार बोर्ड से जारी सर्टिफिकेट में उनकी जन्मतिथि 24 नवंबर 1962 अंकित है. इनका योगदान पत्र 14 दिसंबर 1977 को जारी हुआ है यानी ये 15 साल 20 दिन की उम्र से कॉलेज में नौकरी करना शुरू कर दिए थे. ये महज कुछ उदाहरण है.

कॉलेज के एक नहीं कई कर्मियों के जन्मतिथि में हेरा फेरी की लंबी फेहरिस्त है. सिर्फ कर्मियों ही नहीं कई प्राध्यापकों के भी सर्टिफिकेट में गड़बड़झाला है. अब यह मामला विश्वविद्यालय में पहुंच गया है. यहां के एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी का अलग-अलग जन्मतिथि का दो सर्टिफिकेट जांच के घेरे में है. विश्वविद्यालय की ओर से जिसकी जांच हो रही है.  जिन मामलों की जांच हो रही है उसमें 18 साल से कम उम्र में हुई नौकरी,  एक दर्जन जन्तिथि और फर्जी मार्क शिट पर नौकरी का खुलासा, ऐसे ऐसे कर्मी जिनके दो दो जन्मतिथी के अलग अलग सर्टिफिकेट, विश्वविद्यालय और कॉलेज के मिली भगत से हुआ है बड़ा खेल शामिल है. वहीं जांच में बाबा भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के कई कॉलेज के कर्मी और प्राध्यापक बेनक़ाब होंगे.

पूरे मामले को लेकर बताया जाता है कि विगत फरवरी माह में प्रधान सहायक के सेवानिवृत्ति के बाद इस पद के लिए कॉलेज के कई दावेदार सामने आ गए. विजय प्रसाद यादव को प्रधान सहायक बनाया गया लेकिन कई कर्मियों को यह रास नहीं आया और उन्होंने उनकी सर्टिफिकेट में अंकित जन्मतिथि को लेकर विश्वविद्यालय में शिकायत कर दी. मामला इतना बढ़ा की कर्मी ही एक दूसरे का कच्चा चिट्ठा खोलने लगे. जैसे ही लोगों को इन सारी बातों की जानकारी हुई कॉलेज में हड़कंप मच गया.

अब कर्मियों के सर्टिफिकेट जांच की मांग उठने लगी है. कॉलेज के कर्मियों के सर्टिफिकेट में गड़बड़ी का मामला उजागर होने पर सारे कर्मचारियों व प्राध्यापकों के सर्टिफिकेट की जांच की मांग उठने लगी है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ अभय कुमार का कहना है की कम उम्र में नौकरी करने का मामला संज्ञान में आया है. कॉलेज स्तर से इसकी छानबीन की जा रही है. जांच पड़ताल के बाद पूरे मामला से विश्वविद्यालय को अवगत कराया जाएगा. विश्वविद्यालय से प्राप्त निर्देश के अनुसार कार्रवाई होगी.

इनपुट- धनंजय द्विवेदी

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