बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस आने वाले चुनौती के संकेत दे दिए हैं. जासवाल ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा दिल दिखाएंगे.
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पटना: बिहार सरकार में जनता दल (यूनाइटेड) के साथ शामिल बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकृति देकर एनडीए के नेताओं में हो रही बयानबाजी को जरूर विराम कर दिया है, लेकिन एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर आने वाली चुनौती को निपटना भी एनडीए के 'थिंकटैंक' के लिए आसान नहीं होगा.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस आने वाले चुनौती के संकेत दे दिए हैं. जासवाल ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा दिल दिखाएंगे.
जानकार भी कहते हैं कि अमित शाह ने बिहार के कई नेताओं के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या सरकार के विरोध में दिए जाने वाले बयान के बीच 'बड़ा दिल' दिखाते हुए बिहार में नीतीश के नेतृत्व में आगामी चुनाव लड़ने की बात कहकर जेडीयू के पाले में गेंद डाल दी है.
बिहार के जानेमाने पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं कि अमित शाह ने गेंद को नीतीश के पाले में डाल दिया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जेडीयू जैसी दो सांसदों की पार्टी को बराबर का साझीदार बनाते हुए सीट बंटवारे में बराबर सीट दी थी. ऐसे में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मांग बराबर सीट की होगी, इसमें कोई दोमत नहीं है.
बीजेपी के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि इस बार जेडीयू को बीजेपी के दबाव का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने साफ कहा कि बीजेपी ने उम्मीद पाल रखी है कि अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी बराबर की साझेदार होगी.
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 160 और जेडीयू ने 101 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. जेडीयू उस चुनाव में राजद के साथ थी. उस चुनाव में बीजेपी ने 53, जेडीयू ने 71 तथा राजद ने 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले मनोज चौरसिया कहते हैं कि इसमें कोई दोराय नहीं कि बिहार के बीजेपी के नेता अगले साल होने वाले चुनाव में जेडीयू के सामने बराबर सीट की दावेदारी रखेंगे. वे कहते हैं कि बीजेपी नेतृत्व बिहार में सधी हुई रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है. उनका मानना है कि नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद बीजेपी ने नीतीश के महागठबंधन में जाने की किसी भी संभावना पर ब्रेक लगा दिया, वहीं सीट बंटवारे में बराबर साझेदारी मांग कर दबाव बढ़ाएगी.
चौरसिया कहते हैं कि चुनाव में बीजेपी अगर बेहतर प्रदर्शन कर गई, तो बिहार के समीकरण बदलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि, एनडीए में अभी तक सीट बंटवारे को लेकर जेडीयू और बीजेपी के नेता अभी तक खुलकर आमने-सामने भले नहीं हुए हैं, लेकिन भीतरखाने बीजेपी में बराबर की साझेदारी की मांग जोर पकड़ चुकी है.
इधर, जेडीयू के नेता खुद को 'बड़ा भाई' बताने से अभी भी पीछे नहीं हट रहे हैं. बहरहाल, एनडीए में नेतृत्व को लेकर बादल भले छंट गए हों, लेकिन चुनाव तक एनडीए में एक-बार फिर से बीजेपी और जेडीयू के नेता आमने-सामने आ जाएं, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. (इनपुट IANS से भी)