झारखंड: कोरोना से लड़ने को नहीं मेडिकल टीम और किट, क्या अधूरी है तैयारी?
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झारखंड: कोरोना से लड़ने को नहीं मेडिकल टीम और किट, क्या अधूरी है तैयारी?

जबकि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि हमारी टीम का मनोबल नीचा नहीं है. उनकी कमियों को दूर करेंगे. फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, पारा मेडिकल स्टाफ जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं.           

झारखंड: कोरोना से लड़ने को नहीं मेडिकल टीम और किट, अधूरी है तैयारी. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड में कोरोना पॉजिटिव पहला केस आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग की तैयारी पर सवाल उठने लगे हैं. राज्य में चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मी, पारा मेडिकल स्टाफ और एम्बुलेंसकर्मियों के लिए जरूरी सामान और इक्विपमेंट के अभाव पर चर्चा की गई है.

स्वास्थ्य कर्मी बिना पीपीई ड्यूटी से इनकार तक कर रहे हैं. झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने भी स्वास्थ्य विभाग की कमियों पर राज्य सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार सिर्फ ट्विटर पर और मोबाइल संदेशों तक सीमित है. जबकि डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ के पास कोई सुविधा नहीं है.

जबकि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि हमारी टीम का मनोबल नीचा नहीं है. उनकी कमियों को दूर करेंगे. फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, पारा मेडिकल स्टाफ जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं.           

वही जेएमएम ने बीजेपी के सवाल उठाने पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 16 साल सरकार चलाने वाली पार्टी ऐसी बात बोले और ऐसे वक्त में राजनीति करे तो दुखद है. दो महीने की हेमंत सोरेन की सरकार, जो सबसे बेहतर हो सकता है कर रही है.

अब तक झारखंड सरकार कोरोना से निपटने के दावे तो लगातार कर रही थी लेकिन राजधानी में पहला केस आने के बाद से ही प्रशासन के सामने संसाधनों की कमियों यक्ष प्रश्न है तो मेडिकल स्टाफ का भरोसा जीतने की चुनौती भी. ऐसे में झारखंड को आने वाले समय में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.