शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार पर विपक्ष हमलावर, कहा- 'सरकार संवेदनहीन'
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शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार पर विपक्ष हमलावर, कहा- 'सरकार संवेदनहीन'

शेल्सुटर होम को लेकर सुप्रीम कोर्ट केआदेश के बाद बिहार में राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष सरकार पर लगातार हमला कर रहा है.

शेल्टर होम मामले में विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है. (फाइल फोटो)

पटनाः बिहार में हुए शेल्टर होम केस की जांच सीबीआई कर रही है. वहीं, सीबीआई जांच की मॉनिटरिंग सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए राज्य के सभी 17 शेल्टर होम की जांच सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि सीबीआई को जांच से पहले बिहार सरकार की ओर से 10 दिनों का वक्त मांगा गया, लेकिन कोर्ट ने मांग को ठुकरा दिया.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बिहार में शेल्टर होम को लेकर राजनीति तेज हो गई है. बिहार सरकार को फटकार लगाने के बाद अब विपक्ष भी हमलावर हो गया है. विपक्ष अब बिहार सरकार पर निशाना साध रहा है. आरजेडी की ओर से कहा गया कि अब तक सरकार आरोपियों को बचाने का काम कर रही थी. लेकिन अब नहीं बचा पाएगी.

आरजेडी के विधायक भोला यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि राज्य सरकार मामले पर पर्दा डालने चाहती थी. इतने गंभीर मामले को भी सही से जांच नहीं कराना नहीं चाहती है. और सरकार ने एफआईआर भी ठीक से नहीं लिखवाया था. यह भी साफ हो गया है. इससे पता चलता है कि राज्य सरकार जघन्य मामले में भी कितना संवेदनहीन है.

वहीं, सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार ने बयान दिया कि, राज्य सरकार मामले की जांच सही तरीके से करा रही है. अगर कोर्ट सरकार को कोई सुझाव दिया है तो वह उनका स्वागत करती है. राज्य सरकार जांच सही से करा रही है और कोर्ट के सुझाव के अनुसार और अच्छे से कराया जाएगा.

कांग्रेस ने भी बिहार सरकार पर शेल्टर होम केस के लिए निशाना साधा है. कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि, कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि सरकार दुराचारियों को बचाने की कोशिश में लगी थी. और कोर्ट के फैसले का बिहार सरकार विरोध भी कर रही है. सरकार ने मामले को छिपाते हुए केवल 4 शेल्टर होम पर केस दर्ज कराया था. लेकिन कोर्ट ने 17 शेल्टर होम की जांच का आदेश दिया है.

आपको बता दें कि, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है. यह बेहद शर्मनाक है. वहीं, कोर्ट ने आशंका जताई थी कि बिहार में कई शेल्टर होम में ऐसे मामले और भी हो सकते हैं. इसलिए बुधवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के अलावा 16 और शेल्टर होम की जांच सीबीआई को सौंप दी है.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट को भी एफआईआर में जोड़ा गया है. दरअसल, मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ नरम रुख क्यों अख्तियार किया गया? 

कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट को क्यों नहीं जोड़ा गया? सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बिहार सरकार को 24 घंटे का वक्त दिया था. जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर में आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट को जोड़ दिया है.

बालिका गृह कांड पर हो रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'बिहार सरकार क्या कर रही है? यह शर्मनाक है. बच्चों का यौनाचार हुआ है और सरकार कह रही है कि कुछ नहीं हुआ है. सरकार ऐसा कर सकती है. यह अमानवीय है.' कोर्ट ने पुलिस जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि हमने पूरे मामले को गंभीरता से जांच करने का आदेश दिया था. क्या यही गंभीरता है?