Samastipur: स्वास्थ्य बदहाली की दर्दनाक तस्वीर, हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर तो गोद में मासूम
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Samastipur: स्वास्थ्य बदहाली की दर्दनाक तस्वीर, हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर तो गोद में मासूम

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं. सूबे के समस्तीपुर के सदर अस्पताल में एक बच्ची को लेकर आए परिजनों को आक्सीजन सिलेंडर के साथ इधर-उधर भटकना पड़ा.

स्वास्थ्य बदहाली की दर्दनाक तस्वीर (प्रतीकात्मक तस्वीर)

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में एक बार फिर बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की झलक दिखी. यहां के सदर अस्पताल में एक बच्ची को लेकर इलाज कराने आए परिजनों को आक्सीजन सिलेंडर के साथ इधर-उधर भटकना पड़ा. इस दौरान पिता के हाथ मे ऑक्सीजन सिलेंडर तो माँ की गोद में मासूम था.

  1.  पिता के हाथ मे ऑक्सीजन सिलेंडर था तो माँ की गोद में मासूम
  2. संवेदनहीनता के ये आलम कि स्ट्रैचर तक मुहैया नहीं करा सका प्रशासन

संवेदनहीन अस्पताल प्रशासन

दुखद बात ये है कि इस दौरान किसी भी स्वास्थ्यकर्मी की नजर मासूम पर नहीं गई. जिससे उसे एक बिस्तर या फिर स्ट्रेचर ही मुहैया करा दिया जाए. इसी हालात में परिजनों को अस्पताल की पर्ची कटाने वाली खिड़की पर भी जाना पड़ा लेकिन ड्यूटी में तैनात किसी भी कर्मी की संवेदना नहीं जगी.

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गौरतलब है कि ये मामला जिले के सदर अस्पताल का है. मासूम के परिजन मोरवा प्रखंड के रहने वाले थे. जो वहां से इलाज कराने यहां आए थे.

स्वास्थ्य बदहाली की दिखी तस्वीर

बिहार के निजाम बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के भले ही तमाम दावें कर लें लेकिन ऐसी तस्वीरें उनकी पोल खोल दे रही हैं. साथ ही यह भी बता रहीं हैं कि सूबे में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने को लेकर सरकार कितनी गंभीर है.

गौरतलब है कि नीति आयोग द्वारा 2019 में जारी रिपोर्ट में बिहार की सेहत की रैंकिंग 19वीं थी. नीति आयोग की इस रैंकिंग के लिए आधार वर्ष 2015-16 लिया गया है लेकिन इसके बाद से भी बिहार में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में प्रति 17685 व्यक्ति पर महज 1 डॉक्टर हैं जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों अनुसार प्रति एक हज़ार आबादी एक डॉक्टर होना चाहिए.ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह स्थिति और भी दयनीय स्थिति है जहां प्रति 17685 व्यक्ति पर महज 1 डॉक्टर हैं.