बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर दलों में अभी से चकचक
झारखंड चुनाव में सफलता से उत्साहित कांग्रेस जहां विपक्षी महागठबंधन में जल्द सीट बंटवारे को लेकर दबाव बनाए हुए है. वहीं, एनडीए में प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव की तरह 50-50 के अनुपात में सीट बंटवारे को नकार दिया है.
Trending Photos
)
पटना: बिहार विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों गठबंधनों में अभी से चकचक शुरू हो गई है. झारखंड चुनाव में सफलता से उत्साहित कांग्रेस जहां विपक्षी महागठबंधन में जल्द सीट बंटवारे को लेकर दबाव बनाए हुए है. वहीं, सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव की तरह 50-50 के अनुपात में सीट बंटवारे को नकार दिया है.
झारखंड में जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी अब बिहार में पूरी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहती है. इसी के मद्देनजर उसने आरजेडी नेतृत्व से कह दिया है कि वह विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले सीट बंटवारे के बारे में फैसला करना चाहती है, ताकि चुनाव की तैयारी करने का समय मिल सके.
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक चली खींचतान जैसी स्थिति से विधानसभा चुनाव में बचना चाहती है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमने आरजेडी को अवगत कराया है कि सीट बंटवारे पर अगर पांच-छह महीने पहले ही फैसला हो जाएगा तो गठबंधन के लिए स्थिति ज्यादा मजबूत रहेगी, क्योंकि पार्टियों को अपनी तैयारी और रणनीति के लिए पूरा समय मिलेगा.'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह लोकसभा चुनाव में हार के कारण के विषय में कई बार सीट बंटवारे को लेकर अपनी बात कह चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस विधानसभा चुनाव में इस बार गलती करने के मूड में नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि अगले साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है. कांग्रेस चाहती है कि अप्रैल-मई तक सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाए, ताकि सभी पार्टियों को उम्मीदवार तय करने का पर्याप्त समय भी मिल जाए और इससे रणनीति बनाने में भी सहूलियत होगी. हालांकि, इस पर आरजेडी ने अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM), विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और आरएलएसपी (RLSP) साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली. शेष 39 सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी.
माना जा रहा है कि चुनाव के पहले सीट बंटवारे को लेकर दबाव की रणनीति के तहत इस तरह की पैंतरेबाजी हो रही है. बीजेपी नीत एनडीए में भी सीट बंटवारे को लेकर पैतरेबाजी प्रारंभ हो गई है.
जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा है कि जेडीयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, इसलिए उसे विधानसभा चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सीट बंटवारे के दौरान जेडीयू के प्रस्ताव पर पहले विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा है कि बीजेपी से सीट बंटवारे को लेकर अनुपात 1-3 या 1-4 का ही रहेगा. प्रशांत किशोर ने बीजेपी-जेडीयू के बीच 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में बने सीट बंटवारे के फॉर्मूले का हवाला देकर 2020 में टिकट बंटवारे की बात कही है.
उस वक्त जेडीयू 142 सीटों पर और बीजेपी 101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. तब एनडीए में एलजेपी नहीं थी. प्रशांत के इस बयान के बाद बिहार की सियासत गरम हो गई है.
प्रशांत किशोर के सीट बंटवारे के बयान पर बीजेपी नेता नितिन नवीन ने कहा कि सीट बंटवारे पर आखिरी फैसला पार्टी हाईकमान को लेना है, तो फिर यह समझ से परे है कि इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर ऐसी बयानबाजी क्यों कर रहे हैं?
बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने प्रशांत किशोर के बयान पर कहा कि सीट बंटवारे पर दिया बयान पार्टी का बयान नहीं है, इसीलिए यह गैरजरूरी बयान है. प्रशांत किशोर के बयान पर जेडीयू नेता और परिवहन मंत्री संतोष निराला ने कहा है कि 'विधानसभा चुनाव में जेडीयू ही बड़े भाई की भूमिका में रहेगा और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. सीट बंटवारे के मुद्दे पर बैठकर वार्ता की जाएगी, और उसके बाद सबकुछ तय होगा.'
More Stories