बिहार: बगहा में बाहरी उम्मीदवारों से पार्टी वर्कर्स में रोष, NOTA पर कर रहे विचार
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बिहार: बगहा में बाहरी उम्मीदवारों से पार्टी वर्कर्स में रोष, NOTA पर कर रहे विचार

 राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा होते ही स्थानीय कार्यकर्ताओं में रोष बढ़ता जा रहा है और यहीं वजह है कि पार्टी के निर्णय के खिलाफ कार्यकर्ता एकजुट होने लगे हैं. कमोबेश यह स्थिति सभी महत्वपूर्ण पार्टियों में देखने को मिल रही है.

लोग विरोधी स्वर में लोग गोलबंद होकर नोटा बटन दबाने की बात कर रहे हैं.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

इमरान अजीज, बगहा: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा होते ही स्थानीय कार्यकर्ताओं में रोष बढ़ता जा रहा है और यहीं वजह है कि पार्टी के निर्णय के खिलाफ कार्यकर्ता एकजुट होने लगे हैं. कमोबेश यह स्थिति सभी महत्वपूर्ण पार्टियों में देखने को मिल रही है.

बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी ने विधानसभा से  बाहरी और नए उम्मीदवार को टिकट दिया है साथ ही ब्राह्मण और वैश्य समाज की जिले में उपेक्षा की गई है. वहीं स्थिति महागठबंधन के कांग्रेस की है जहां वाल्मिकीनगर लोकसभा सीट पर उप चुनाव होने हैं और इसके अन्तर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें निर्णायक वोटर अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ों के साथ यादव समाज है यहां भी किसी सीट पर यादव और मुस्लिम कंडीडेट नहीं दिए जाने से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में रोष भीतर घात की संभावना जताई जा रही है.

इधर बिहार बीजेपी के व्यावसायिक प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय प्रभारी संजय कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में यहां ब्राह्मण और वैश्य समुदाय के अपमान और दरकिनार किए जाने को लेकर भारी रोष है. बगहा बाज़ार स्थित श्रीराम गेस्ट हाउस में आयोजित बैठक में प्रदेश बीजेपी नेता संजय पांडेय ने कहा कि यहां ये लोग नोटा बटन दबाकर विरोध करेंगें साथ ही पार्टी में जिला के एक भी विधानसभा सीट पर ब्राह्मण समाज से उम्मीदवार नहीं दिया जाना निंदनीय है जिसका खामियाजा भीतरघात से भुगतना पड़ेगा हालाकि बीजेपी आलाकमान की नीति के साथ और उम्मीदवारों के चयन के निर्णय के खिलाफ होने का दावा करते हुए ब्राह्मण और वैश्य समाज गोलबंद होकर चुनाव में विरोध को लेकर एकजुट होने लगा है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल पर भी भेदभाव और अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके विरूद्ध भी विरोधी स्वर में लोग गोलबंद होकर नोटा बटन दबाने की बात कर रहे हैं. बता दें कि पश्चिम चंपारण जिला के 9 विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरण के आधार पर ब्राह्मण और वैश्य मतदाताओं कि संख्या निर्णायक है ऐसे में टिकट बंटवारे में लिया गया निर्णय और अनदेखी से नाराज़ कार्यकर्ताओं की एकजुटता प्रत्याशियों पर क्या असर दिखाएंगे इसके लिए 3 और 7 नवंबर का इंतजार है.