पटना हाईकोर्ट ने अपने जज के फैसले पर लगाई कोर्ट, 11 जजों की बेंच एक साथ बैठी पहली बार
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पटना हाईकोर्ट ने अपने जज के फैसले पर लगाई कोर्ट, 11 जजों की बेंच एक साथ बैठी पहली बार

पटना हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ, जब गुरुवार को 11 जजों की बेंच एक साथ बैठी, जिसके सामने अपनी ही कोर्ट के जज के फैसले की समीक्षा करना था, जिसने न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किये थे.

पटना हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ, जब गुरुवार को 11 जजों की बेंच एक साथ बैठी. (फाइल फोटो)

पटना: पटना हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ, जब गुरुवार को 11 जजों की बेंच एक साथ बैठी, जिसके सामने अपनी ही कोर्ट के जज के फैसले की समीक्षा करना था, जिसने न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किये थे. मुख्य न्यायाधीश एपी शाही की अध्यक्षता वाली इस खंडपीठ ने सिंगल जज के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी और फैसला देनेवाले जज के खिलाफ भी टिप्पणी की है. जज को केस से अलग कर दिया गया है. 

क्या है मामला 
पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज राकेश कुमार ने 23 मार्च 2018 को एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी पूर्व आईएएस केपी रमैया की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. इसके बाद केपी रमैया सुप्रीम कोर्ट गये थे, लेकिन वहां से भी उन्हें मामले में राहत नहीं मिली, इसके बाद इस साल मई में केपी रमैया ने विजिलेंस कोर्ट के सामने सरेंडर किया और उसी समय उन्हें जमानत मिल गयी. जमानत विजिलेंस कोर्ट के प्रभारी जज विपुल कुमार सिन्हा ने दी, क्योंकि जिस दिन ये मामले सामने आया कोर्ट के नियमित जज मधुकर कुमार छुट्टी पर थे. 28 अगस्त 2019 को जस्टिस राकेश कुमार के मौखिक आदेश पर पटना हाईकोर्ट में केपी रमैया की जमानत का मामला फिर से सुना गया. इसी को लेकर जस्टिस राकेश कुमार ने 20 पेज का आदेश पारित किया, जिसमें केपी रमैया को जमानत मिलने पर सवाल उठाये गये. साथ ही निचली अदालतों के भ्रष्ट जजों को संरक्षण देने का आरोप हाईकोर्ट प्रशासन पर भी लगा दिया. इसके अलावा न्यायिक प्रक्रिया पर और कई गंभीर सवाल उठाये. 

 

हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद कैसे मिली जमानत?
जस्टिस राकेश कुमार ने अपने फैसले में केपी रमैया को निचली अदालत से जमानत मिलने पर सवाल खड़े किये. कहा- जब हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो गयी और सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की राहत नहीं दी, तो किन परिस्थितियों में निचली आदलत से केपी रमैया को जमानत मिली, इसकी जांच पटना जिला जज करें और चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपे. 

स्टिंग ऑपरेशन में फंसे कर्मचारियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
फैसेल में जस्टिस राकेश कुमार ने कुछ समय पहले पटना सिविल कोर्ट के सामने आये स्टिंग का जिक्र किया और कहा कि स्टिंग में जिन कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा, उनके खिलाफ अब तक एफआईआर तक दर्ज नहीं की गयी. जस्टिस ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुये सीबीआई को जांच के आदेश दिये. 

भ्रष्ट जज पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई, कैसे मिला संरक्षण?
20 पेज के आदेश में जस्टिस राकेश कुमार ने निचली अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल किये. लिखा भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण मिल रहा है. जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे बर्खास्त करने की जगह पर मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है. मैंने विरोध किया, तो उसकी भी अनदेखी कर दी गयी. लगता है कि भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट में बनती जा रही है. 

पीएमओ तक फैसले की कॉपी भेजने का दिया था आदेश
जस्टिस राकेश ने अपने 20 पेज के फैसले की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय तक भेजने का आदेश दिया था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम, कानून मंत्रालय और सीबीआई निदेशक को कॉपी भेजने का आदेश दिया था. 

कौन हैं जस्टिस राकेश कुमार
जस्टिस राकेश कुमार का जन्म 1 जनवरी 1959 को हुआ. 26 साल तक हाईकोर्ट में वकालत की. बिहार सरकार और केंद्र सरकार के वकील रहे. चारा घोटाले में सीबीआई के वकील रहे. 25 दिसंबर 2009 को हाईकोर्ट के एडिशनल और 24 अक्तूबर 2011 को स्थायी जज बने. 31 दिसंबर 2020 को जस्टिस राकेश रिटायर होंगे. 

कैसे फैसले पर लगी रोक
पटना हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश एपी शाही को जब इस बात की जानकारी मिली कि जस्टिस राकेश कुमार की एकल बेंच ने ऐसे मामले में आदेश पारित किया है, जिसका निष्पादन 2018 में ही हो गया था, तो उन्होंने इस बात की जांच के आदेश दिये कि आखिर 2018 में निष्पादित मामले कैसे सुनवाई के लिए रजिस्टर हुआ. साथ ही उन्होंने 11 जजों की विशेष बेंच बनायी, जिसमें उन्होंने अध्यक्षता की और फैसले पर रोक लगा दी. अब इसकी सुनवाई की अगली तारीख तय की जायेगी. 

जस्टिस राकेश कुमार ने जो फैसला दिया था, उसमें न्यायिक प्रक्रिया के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया था. सुनवाई के दौरान 11 जजों की बेंच ने ये बात कही. साथ ही जो सवाल उठाये गये थे, उससे न्यायिक प्रक्रिया को धक्का लगा, लेकिन स्पेशल बेंच ने फैसले पर रोक लगा दी. निष्पादित मामले पर सुनवाई करते हुये कोई कैसे इस तरह की टिपप्णी कर सकता है. इसमें जस्टिस राकेश कुमार का अपना कुछ पूर्वाग्रह रहा है. 

जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने के साथ पुराने जजों पर भी टिप्पणी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट से आये जस्टिस पर भी सवाल उठाया था. इनमें वैसे जस्टिस भी शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. तीन तरह के आदेश भी उन्होंने पारित किये थे, जिन सब पर रोक लग गयी है.