पटना लॉ कॉलेज को मान्यता के लिए हर वर्ष करना पड़ता है संघर्ष, यह वजह आई सामने...
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पटना लॉ कॉलेज को मान्यता के लिए हर वर्ष करना पड़ता है संघर्ष, यह वजह आई सामने...

छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी और आधारभूत संरचना के अभाव की वजह से पटना लॉ कॉलेज को हर साल नया सत्र शुरू होने से पहले मान्यता लेनी पड़ती है.

पटना लॉ कॉलेज को मान्यता के लिए हर वर्ष करना पड़ता है संघर्ष.

पटना: एलएलबी की पढ़ाई के लिए मशहूर पटना लॉ कॉलेज को हर साल नए सत्र शुरू होने से पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता लेनी पड़ती है और ऐसा इसलिए क्योंकि यहां छात्रों के अनुपात में न तो शिक्षक हैं और न ही आधारभूत संरचना. जरा सोचिए जिस लॉ कॉलेज से पढ़कर छात्र देश के मुख्य न्यायाधीश और एटॉर्नी जनरल (Attorney General) बन जाते हों, उसे मान्यता के लिए हर साल बार कांउसिल ऑफ इंडिया से मशक्कत करनी पड़ रही हो तो सवाल उठने लाजिमी हैं.

दरअसल, दोष बार काउंसिल ऑफ इंडिया का नहीं बल्कि दोष बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का है, जो पटना लॉ कॉलेज (Patna Law College) को न तो पर्याप्त संख्या में शिक्षक दे पाया और न ही ठोस आधारभूत संरचना. छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी और आधारभूत संरचना के अभाव की वजह से पटना लॉ कॉलेज को हर साल नया सत्र शुरू होने से पहले मान्यता लेनी पड़ती है.

पटना लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर मोहम्मद शरीफ के मुताबिक, मान्यता के लिए सीटों के हिसाब से शिक्षक होने चाहिए. आधारभूत संरचना यानि क्लासरूम सहित दूसरी सुविधाएं होनी चाहिए. मोहम्मद शरीफ साफ-साफ शब्दों में कहते हैं कि राज्य सरकार टीचर की नियुक्ति में शिथिलता बरतती है, जिसका खामियजा हमारे कॉलेज को भुगतना होता है. 

बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता पाने के लिए जो मापदंड होते हैं. उस मापदंड को हम पूरा नहीं कर पाते हैं. भारत भर में जितने भी लॉ कॉलेज हैं, उसे मान्यता बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मिलती है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया कुछ कॉलेजों को तीन तो कुछ कॉलेज को एक साल के लिए मान्यता देती है. नियमों के मुताबिक, हर साल बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम लॉ कॉलेजों का निरीक्षण करती है और संबंधित कॉलेजों के आवेदन में जो तथ्य होते हैं. 

उसी के आधार पर मान्यता दी जाती है. पटना लॉ कॉलेज में पहले छात्रों के मुताबिक शिक्षक नहीं थे. हालांकि, कुछ दिन पहले पटना लॉ कॉलेज को 14 पार्ट टाइम टीचर्स मिले हैं. छात्रों के लिए खुशखबरी ये है कि लॉ कॉलेज को यूजीसी (UGC) से नैक (NAAC) ग्रेडिंग मिली है और कॉलेज के प्रिंसिपल यूजीसी से 5 करोड़ मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. 

अगर यूजीसी से 5 करोड़ मिल गए तो फिर नए क्लासरूम बन जाएंगे अन्यथा मान्यता हासिल करने का पुराना खेल चलता रहेगा. अब सवाल खड़े ये होते हैं कि आखिर पटना लॉ कॉलेज की स्थिति इस कदर खराब कैसे हो गई 

पटना लॉ कॉलेज में एलएलबी की पढ़ाई होती है. यहां छात्रों की संख्या 300 और नियमों के मुताबिक 12 टीचर्स और 6 क्लासरूम होने चाहिए थी. काफी सालों तक यहां टीचर्स की कमी रह गई. हालांकि, अब बिहार सरकार ने 14 नए पार्ट टाइम टीचर्स नियुक्त कर दिए हैं. टीचर्स की कमी की वजह से पटना लॉ कॉलेज को 3 साल के लिए मान्यता नहीं मिल पाती है.

पटना लॉ कॉलेज की स्थापना पटना विश्वविद्यालय से 8 साल पहले यानि साल 1909 में हुई. पटना लॉ कॉलेज पहले कलकत्ता यूनिवर्सिटी का हिस्सा था. लेकिन साल 1917 में पटना यूनिवर्सिटी बनने के बाद लॉ कॉलेज पीयू (PU) का हिस्सा बन गया. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानि यूजीसी से पटना कॉलेज को ग्रेड मिलने के बाद 5 करोड़ का अनुदान मिल सकता है जिससे क्लास रूम बनाए जा सकते हैं. पटना विश्वविद्यालय का हिस्सा है पटना लॉ कॉलेज लेकिन नियमों के मुताबिक यहां पढ़ाई के लिए मान्यता बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मिलती है.

पटना लॉ कॉलेज की गिनती देश के पुराने लॉ कॉलेजों में हैं. यहां के छात्र रहे  एलएन सिन्हा देश के एटॉर्नी जनरल बने. देश के दो मुख्य न्यायाधीश मिस्टर जस्टिस बी पी सिन्हा और मिस्टर एल एम शर्मा पटना लॉ कॉलेज की ही छात्र थे. इसके अलावा देश की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court), हाईकोर्ट (High Court) सहित अलग-अलग अदालतों में पटना लॉ कॉलेज के छात्र रहे हैं.

पटना लॉ कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय का हिस्सा है. यूनिवर्सिटी के डीन एन के झा भी मानते हैं कि लॉ कॉलेज में जितनी संख्या में शिक्षकों की संख्या होनी चाहिए थी, वो नहीं है. इसलिए इसे हर साल बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता लेनी होती है. वो इसके लिए बिहार सरकार को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. जिस पटना लॉ कॉलेज को शिखर पर होना चाहिए था वो पटना कॉलेज बुनियादी संरचना के अभाव का भी सामना करना पड़ रहा है.

संभव है कि नए पुल और सड़कें बन जाएं. लेकिन अगर शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले संस्थान वो भी लॉ कॉलेज जैसे संस्थान शिक्षकों और बुनियादी सुविधाओं का अभाव का सामना करना पड़े तो जिम्मेदारी तो तय करनी पड़ेगी.