पटना: नगर निगम ने स्टडी के नाम पर पार्षदों पर खर्च किए लाखों, हुई सिर्फ मस्ती
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पटना: नगर निगम ने स्टडी के नाम पर पार्षदों पर खर्च किए लाखों, हुई सिर्फ मस्ती

आर्थिक रूप से पिछड़े पटना नगर निगम के लिए चुने गए प्रतिनिधि यानी मेयर और पार्षद जनता के पैसे पर खुलकर मौज कर रहे हैं. हालांकि इस मौज मस्ती को नगर निगम की तरफ से स्टडी टूर का नाम दिया गया है. 

पटना: नगर निगम ने स्टडी के नाम पर पार्षदों पर खर्च किए लाखों, हुई सिर्फ मस्ती

पटना: आर्थिक रूप से पिछड़े पटना नगर निगम के लिए चुने गए प्रतिनिधि यानी मेयर और पार्षद जनता के पैसे पर खुलकर मौज कर रहे हैं. हालांकि इस मौज मस्ती को नगर निगम की तरफ से स्टडी टूर का नाम दिया गया है. शहरों का दौरा कर वहां के तौर तरीकों के जानने पर कोई भी सवाल खड़ा नहीं कर सकता लेकिन पार्षदों और मेयर को घूमाने, रहने और खाने-पीने पर जो लाखों रूपए खर्च हुए उस पर सवाल जरूर खड़ा होता है. 

दरअसल जून के महीने में पटना नगर निगम के सभी 75 पार्षदों में 55 पार्षदों और मेयर ने बैंगलुरू, मैसूर, हैदराबाद, सूरत का दौरा किया. यहीं नहीं पार्षदों को उनके साथ अतिरिक्त एक और शख्स को भी ले जाने की इजाजत दी गई. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिन शहरों के लिए पटना से ट्रेनें है उन शहरों के लिए पटना से आने-जाने के लिए फ्लाइट की टिकट बुक की गई. 

इन पार्षदों के लिए फ्लाइट से आने और जाने का इंतजाम किया गया. यही नहीं इन पार्षदों को बढ़िया होटल में ठहराया गया, खाने-पीने का इंतजाम भी वो भी जनता की गाढ़ी कमाई से कर रहे हैं. निगम ने इसके लिए एक ट्रेवल एजेंसी की मदद ली. इसी बीच जानकारी ये भी है कि बांकी बचे पार्षदों को भी विभिन्न शहरों को घूमाने की तैयारी हो रही है और इसके लिए कार्य योजना बनाई जा रही है.

पटना नगर निगम के पार्षद और सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी के मुताबिक, मैसूर, हैदराबाद, सूरत के दौरे पर गए थे. मैं खुद सूरत गया था. तकरीबन 55 पार्षद जा चुके हैं और बाकी बचे पार्षदों को भी घूमाया जाएगा. हम फ्लाइट से गए थे. सारी व्यवस्था पटना नगर निगम की तरफ से ही थी. पटना नगर निगम में समस्याओं का अंबार है. सफाई कर्मचारियों की शिकायत रहती है कि उन्हें समय से वेतन नहीं मिलता है लेकिन अगर इसी निगम के पार्षद और मेयर दौरा के नाम पर लाखों रूपए खर्च कर देते हैं तो सवाल खड़ा होना लाजिमी होता है.

कुछ पार्षदों के मुताबिक, सूरत में ड्रेनेज सिस्टम बढ़िया हैं, कुछ पार्षदों ने कहा कि हैदराबाद में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम बढ़िया है लेकिन ये वही पटना शहर है जहां के लोग बेहतर ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने की वजह से भीषण जलजमाव का सामना कर चुके हैं. ऐसे में देश के बड़े शहरों के दौरों को लेकर सवाल खड़े होते हैं. इन दौरों से पार्षदों ने जून से लेकर अब तक क्या सीखा और क्या उसे अमल में लाया गया, जब इस पर सवाल होता है तो निगम के प्रतिनिधियों के पास जवाब भी होता है.

पटना नगर निगम की पार्षद मीरा देवी के मुताबिक, बड़े शहरों का दौरा गलत नहीं है. लेकिन उनके पास इन सवालों का जवाब नहीं है कि शहरों की कार्यप्रणाली जानने के नाम पर लाखों रूपए पैसे की तरह बहा देना कहां तक उचित है. मीरा देवी के मुताबिक, मैं मैसूर गई थीं. मेरे साथ पंद्रह वार्ड पार्षद थे और मेयर मेम भी गई थीं. सारा खर्च पटना नगर निगम की तरफ से था.

मैसूर में ठोस कचरा प्रबंधन का काम बेहतर है. पटना में पिछले छह महीने में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए कितना काम हुआ इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. पार्षदों ने हैदराबाद के ड्रेनेज सिस्टम को समझा लेकिन क्या पटना में ड्रेनेज काम कर रहा है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों लाख रूपए पार्षदों के दौरों पर खर्च हो गए लेकिन पटना को उससे कुछ भी लाभ नहीं मिला.

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