पहल : पटना में अब कचरे से तैयार होगी बिजली, सड़क निर्माण में भी होगा इस्तेमाल
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पहल : पटना में अब कचरे से तैयार होगी बिजली, सड़क निर्माण में भी होगा इस्तेमाल

निगम के मुताबिक, कचरों का इस्तेमाल बिजली और ईंधन तैयार करने के साथ-साथ सड़कों के निर्माण में भी किया जाएगा. 

पटना में कचरे से बिजली बनाने की तैयारी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रीतम कुमार, पटना : बिहार की राजधानी पटना में अब कचरे से बिजली और ईंधन बनाने को लेकर तैयारी चल रही है. इसके अलावा कचरों का इस्तेमाल सड़क निर्माण में भी करने की दिशा में पहल की जा रही है. इसके लिए नगर निगम और ग्रामीण कार्य विभाग के बीच बातचीत चल रही है. फिलहाल कचरे से बिजली और ईंधन बनाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया जारी है. टेंडर होते ही इस दिशा में काम शुरू हो जाएंगे.

पटना नगर निगम ने राजधानी में कचरे से ईंधन तैयार करने का प्लान बनाया है. निगम के मुताबिक, कचरों का इस्तेमाल बिजली और ईंधन तैयार करने के साथ-साथ सड़कों के निर्माण में भी किया जाएगा. पटना के रामाचक बैरिया में बड़े पैमाने पर कचरा डंप किया जाता है. रोजाना लगभग 75 टन कचरा निकलता है, जिसका इस्तेमाल बिजली तैयार करने में करने की तैयारी है.

इसके लिए फिलहाल निगम ने टेंडर निकाला था और कुछ कंपनियों ने दिलचस्पी भी दिखाई है. आठ जनवरी को टेंडर खुलेगा, जिसके बाद सबसे योग्य कंपनी को बिजली बनाने का काम सौंप दिया जाएगा.

पटना के बाहरी इलाके रामाचक बैरिया में जो भी कंपनी कचरे से बिजली और ईंधन तैयार करेगी इसके लिए उसे 75 एकड़ जमीन दी जाएगी. दूसरी तरफ कचरा का दूसरा इस्तेमाल सड़क बनाने में होगा. ग्रामीण कार्य विभाग ने निगम को इसके लिए 10 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. निगम के मुताबिक, पटना की जनसंख्या 20 लाख है. यहां रोजाना 75 टन कचरा और प्लास्टिक निकलता है. प्लास्टिक से पहले ग्रेनुएल बनाया जाएगा, जिसका इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जाएगा.

कचरा से ईंधन बनाने की प्रक्रिया :

  • कचरे से ईंधन बनाने के लिए प्लाज्मा गैसिफिकेशन तकनीक का इस्तेमाल होगा.
  • प्लाज्मा गैसिफिकेशन तकनीक में शीशे को छोड़कर सभी धातुओं को अणु स्तर पर तोड़ा जाता है.
  • इस तकनीक में सबसे पहले सभी तरह के कचरे को पानी के साथ तरल किया जाता है.
  • प्लाज्मा वैक्यूम के अंदर सात हजार से 14 हजार डिग्री सेल्सियस से पूरे मटेरियल को गुजारा जाता है.
  • प्लांट में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को जोड़कर पानी बनाया जाता है.
  • इस पानी में हाइड्रोजन और कार्बन की थोड़ी सी मात्रा मिलाने के बाद सीन गैस बनती है.
  • सीन गैस से टर्बाइन चलती है और बिजली तैयार होती है.

ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री शैलेश कुमार ने कहा है कि इन तकनीक से जहां पैसों की बचत होगी. हालांकि कचरे से ईंधन और बिजली बनाने की तकनीक नई है. देखना दिलचस्प होगा कि किस हद तक इसे अंजाम तक पहुंचाने में सफलता मिलती है.