बिहार में कावड़ यात्रा पर लगी रोक, तीसरी लहर के मद्देनजर नहीं होगा किसी भी तरह का धार्मिक आयोजन
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बिहार में कावड़ यात्रा पर लगी रोक, तीसरी लहर के मद्देनजर नहीं होगा किसी भी तरह का धार्मिक आयोजन

Bihar Samachar: विश्व प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा हर साल सावन के दौरान भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम तक होती है. करीब 110 किलोमीटर का सफर लोग पैदल ही 24 घंटे के अंदर करते हैं.

बिहार में कावड़ यात्रा पर लगी रोक. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: बिहार में इस बार सावन के दौरान किसी भी तरह का धार्मिक आयोजन नहीं होगा. यानि प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा इस बार भी नहीं होगी. बता दें कि विश्व प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा हर साल सावन के दौरान भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम तक होती है. करीब 110 किलोमीटर का सफर लोग पैदल ही 24 घंटे के अंदर करते हैं. 

परंपरा के मुताबिक, कांवड़िये रविवार को सुबह सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ घाट से गंगा जल उठाते हैं और पूरे दिन पूरी रात पैदल चलने के बाद अगली सुबह वो देवघर के बैद्यनाथ धाम मंदिर पहुंचते हैं और फिर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं. इसे डाक बम कहा जाता है. वहीं, काफी संख्या में ऐसे भी श्रद्धालु होते हैं जो रविवार को जल उठाते हैं और फिर वो बिना तयशुदा तिथि के हिसाब से जल अपर्ण करते हैं इसे बोलबम कहा जाता है. 

दूसरी ओर विशेषज्ञ अगस्त के आखिर में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर की आशंका जाहिर कर रहे हैं. इसे देखते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने कावंड़ यात्रा या फिर किसी तरह के धार्मिक आयोजन पर रोक लगा दी है. पर्षद अध्यक्ष अखिलेश जैन के मुताबिक, कांवड़ यात्रा के दौरान देश और दुनिया से लोग लाखों की संख्या में बिहार पहुंचते हैं लिहाजा संक्रमण की आशंका है. सिर्फ हिन्दुओं से जुड़े आयोजन पर ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म  से जुड़े आयोजन पर भी फिलहाल रोक लगी रहेगी. यही नहीं मंदिर पूरी तरह बंद रहेंगे, द्वार पर ताले लटके रहेंगे और किसी भी तरह की पूजा नहीं होगी. सिर्फ रस्मी पूजा मंदिर के पुजारी की तरफ से ही होगी. 

बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के मुताबिक, 'जान रहेगी तो फिर पूजा भी होगी.' पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने पहले ही कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी थी. ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा का आयोजन कोरोना को देखते हुए नहीं हुआ लिहाजा ये फैसला अपेक्षित था. बिहार में ये फैसला धार्मिक न्यास पर्षद से जुड़े सभी मंदिर, मठों, धर्मशालाओं पर लागू होगा. बिहार में न्यास से जुड़े मंदिर, धर्मशालाओं, मठों की संख्या 4500 है.

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