Patna: बिहार में अगले साल से बड़े खनिज ब्लाक से खनन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसको लेकर सरकार ने काम शुरू कर दिया है. राज्य में खनिज भंडारों को लेकर अभी तक कोई भी नियम नहीं थे. महज लघु खनिज भंडार को लेकर ही नियम थे. बड़े खनिज भंडार से खनन प्रारंभ होने से राजस्व में बढ़ोतरी होगी. जिसके लिए खनिज भंडार खनन के नियमों के लिए गठन की प्रक्रिया को प्रारंभ कर दिया गया है. 


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बड़े खनिज भंडारों को किया गया आवंटित 
बिहार सरकार को राजस्व का बड़ा हिस्सा खनन से प्राप्त होता है. छोटे खनिज नियमावली के मुताबिक नदियों से बालू खनन, मिट्टी की कटाई और पत्थर की कटाई की प्रक्रिया राजस्व, पट्टे का निर्धारण किया जाता है. वहीं, इस साल केंद्र सरकार के द्वारा बिहार के कई बड़े खनिज भंडारों को आवंटित किया गया है. इन बड़े खनिज भंडारों में क्रोमियम, निकेल, पोटेशियम की खदानें हैं. इससे पहले भी राज्य को जमुई से सोने की खदान मिल चुकी है. हालांकि सोने की खनन को लेकर राज्य सरकार को अनुमति नही है. मंत्रालय की अनुमति के बाद ही सरकार खनन कर सकेगी. 


आवंटित खदान का सर्वे जारी
रोहतास में लगभग 25 किलोमीटर में पोटाश फैली हुई है, वहीं औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के 8 किलोमीटर में निकेल और क्रोमियम पाया गया है. लेकिन खनिज नियमावली नहीं होने के कारण यहां पर अभी तक कोई भी प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हो पाई है. केंद्र के द्वारा आवंटित खदान का सर्वे फिलहाल जारी है. 


राजस्व में होगी बढ़ोतरी 
राज्य सरकार के द्वारा वृहद खनिज खनन नियमावली गठन को लेकर काम शुरू कर दिया है. वहीं, नियमावली का ढांचा तैयार होने के बाद इसे मुख्य सचिव के माध्यम से मंत्रिमंडल के समक्ष लाया जाएगा. मंत्रिमंडल से अनुमति मिलने के बाद बड़े खनिज ब्लाक से खनन प्रारंभ किया जा सकेगा. जिससे राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा राज्य में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा. 


खनन और भूतत्व विभाग के अनुसार नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद कई एजेंसियों का चयन कर उन्हें पट्टे देकर बड़े खनिज ब्लाक से खनन शुरू किया जा सकेगा. तय की गई नियमावली में खनन की समय सीमा, राजस्व शुल्क, खनिज की ढलाई आदि की प्रक्रिया को निर्धारित किया जाएगा. 


जानकारी के मुताबिक छोटे खनन नियमावली से होने वाले खनन से सरकार को हर साल लगभग 24 सौ करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है. वहीं, बड़े खनिज खनन नियमावली लागू होने के बाद सरकार को प्रत्येक वर्ष 5 से 7 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है.


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