चलती का नाम गाड़ी! सिर्फ एक पदाधिकारी के जिम्मे दुमका का आपूर्ति विभाग
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चलती का नाम गाड़ी! सिर्फ एक पदाधिकारी के जिम्मे दुमका का आपूर्ति विभाग

दुमका में सरकारी कार्यशैली का अनूठा नमूना देखने को मिलता है. दुमका का आपूर्ति विभाग सिर्फ एक पदाधिकारी के जिम्मे चल रहा है जबकि दुमका के सभी प्रखण्ड में आपूर्ति पदाधिकारी का पद रिक्त हो गया है.

चलती का नाम गाड़ी! सिर्फ एक पदाधिकारी के जिम्मे दुमका का आपूर्ति विभाग

दुमका: दुमका में सरकारी कार्यशैली का अनूठा नमूना देखने को मिलता है. दुमका का आपूर्ति विभाग सिर्फ एक पदाधिकारी के जिम्मे चल रहा है जबकि दुमका के सभी प्रखण्ड में आपूर्ति पदाधिकारी का पद रिक्त हो गया है. कार्यालय में  एक भी सरकारी क्लर्क की नहीं है. 

 

दुमका के आपूर्ति विभाग के ऊपर जिले के सभी जरूरतमंदों को राशन का खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य सामान उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है. यह काफी महत्वपूर्ण विभाग है. बावजूद इसके झारखंड सरकार द्वारा दुमका में इस विभाग में एक ही विभागीय पदाधिकारी की पोस्टिंग की गई है जो जिला आपूर्ति पदाधिकारी का पद है. इसके अतिरिक्त जिले के जो 10 प्रखंड है , उसमें प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी होने चाहिए पर सभी के सभी दस पद रिक्त है. यहां तक की इस विभाग के पास अपना एक लिपिक तक नहीं है. दूसरे विभाग से आए दो क्लर्क और अनुबंध के कंप्यूटर ऑपरेटर के सहारे पूरा विभाग चल रहा है. 

जाहिर है उधार के अधिकारियों और कर्मियों के सहारे दुमका का आपूर्ति विभाग संचालित हो रहा है. दुमका जिले में 85 प्रतिशत आबादी को जिला आपूर्ति विभाग राशन के तौर पर चावल, गेहूं, नमक , केरोसिन उपलब्ध कराता है. इसके साथ ही सरकार की महत्वपूर्ण योजना सोना सोबरन धोती-साड़ी योजना से धोती, लुंगी और साड़ी उपलब्ध करायी जाती है. केरोसीन तेल भी हर महीने उपलब्ध कराया जाता है, पर 85 प्रतिशत आबादी तक पहुंचने वाले इस विभाग के पास विभागीय केवल एक ही व्यक्ति है और वह है जिला आपूर्ति पदाधिकारी. 

जिला आपूर्ति पदाधिकारी बंका राम अपने पद के अतिरिक्त दुमका एसएफसी के जिला प्रबंधक के भी प्रभार में हैं. जिला आपूर्ति विभाग के इस कार्यालय में लिपिक, लेखापाल और चपरासी तक प्रतिनियोजन में ही हैं. बात अनुमंडल स्तर पर की जाए, तो अनुमंडल आपूर्ति पदाधिकारी का पद यहां लंबे अरसे से खाली ही पड़ा हुआ है. जिले में दस प्रखंड हैं, जहां प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का पद सृजित है. इन पदों के प्रभार में संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी ही हैं, जिनके पास खुद कार्यबोझ है. 

प्रखंडों में लंबे अरसे से प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का पद खाली रहने से कई तरह के काम, पर्यवेक्षण और निरीक्षण कार्य प्रभावित होता है . दुमका में लगभग 12 लाख लोगों को राशन कार्ड अनाज दिया जाता है इसमें गेहूं और चावल शामिल है. इसके साथ ही केरोसिन, धोती साड़ी, लुंगी, पेट्रोल सब्सिडी भी दी जाती है. इसमें लाल कार्डधारकों की संख्या 02लाख 12 हज़ार 434 परिवार (09 लाख 35 हज़ार सदस्य) है. जबकि 48 हज़ार 316 परिवार अंत्योदय योजना के लाभुक हैं जिन्हें पीला कार्ड मिला रहता है. जबकि हरा कार्ड धारी 19 हज़ार 487 परिवार शामिल है . जबकि सफेद कार्ड धारी जिन्हें सिर्फ केरोसिन तेल मिलता है वैसे परिवारों की संख्या 10 हज़ार 026 है . इन सभी के लिए जो खाद्यान्न सरकार द्वारा तय किया गया है उन्हें उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आपूर्ति विभाग की है अब जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में लाभूक हैं और पदाधिकारियों और कर्मियों की संख्या नगण्य है तो कैसे सुचारू रूप से अनाज का वितरण हो पाएगा.

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