लैंड फॉर जॉब घोटाले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ीं, कोर्ट ने चार्जशीट पर फैसला सुरक्षित रखा, इस दिन सुनाएगा फैसला
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लैंड फॉर जॉब घोटाले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ीं, कोर्ट ने चार्जशीट पर फैसला सुरक्षित रखा, इस दिन सुनाएगा फैसला

Lalu Yadav News: लैंड फॉर जॉब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ दो आरोप पत्र दाखिल किए हैं. कोर्ट ने इन आरोप पत्रों पर संज्ञान तो ले लिया है, लेकिन लालू यादव के खिलाफ दायर चार्जशीट पर 3 जून को निर्णय लिया जाएगा. यह मामला नौकरी के बदले जमीन लेने और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है.

लैंड फॉर जॉब घोटाले में लालू यादव की बढ़ीं मुश्किलें
लैंड फॉर जॉब घोटाले में लालू यादव की बढ़ीं मुश्किलें

लैंड फॉर जॉब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फिलहाल संज्ञान नहीं लिया है. कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया है. आदेश 3 जून को सुनाया जाएगा. उस दिन कोर्ट तय करेगा कि चार्जशीट पर कार्रवाई शुरू की जाए या नहीं.

इससे पहले 14 मई को ईडी ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि उन्हें लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की जरूरी अनुमति मिल गई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 मई को इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियोजन की स्वीकृति प्रदान की थी. यह मंजूरी लंबे समय से लंबित थी, जिस वजह से अदालत ने चार्जशीट पर अब तक संज्ञान नहीं लिया था.

ईडी ने अगस्त 2023 में 76 वर्षीय लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. यह चार्जशीट रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के आरोपों पर आधारित थी.

जनवरी 2024 में ईडी ने इस मामले में एक और बड़ा कदम उठाते हुए प्रसाद परिवार के कथित सहयोगी अमित कत्याल और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ दूसरा आरोप पत्र दाखिल किया. इस चार्जशीट में लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी सांसद बेटी मीसा भारती, एक अन्य बेटी हेमा यादव और दो कंपनियां ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं.

कोर्ट ने हाल ही में ईडी द्वारा दाखिल इन दोनों आरोप पत्रों का संज्ञान लिया है. अब अदालत यह तय करेगी कि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए या नहीं.

ईडी का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए (2004 से 2009 के बीच) बिहार के लोगों को बिना किसी विज्ञापन के रेलवे की ग्रुप डी की नौकरी दी. बदले में नौकरी पाने वाले लोगों ने लालू यादव के परिवार के सदस्यों या उनके स्वामित्व वाली कंपनियों के नाम पर जमीन ट्रांसफर कर दी. यह कार्रवाई नियमों के खिलाफ मानी जा रही है.

ईडी ने इस पूरे मामले को मनी लॉन्ड्रिंग का केस माना है और यह जांच कर रही है कि जमीन के बदले मिली संपत्ति को किस तरह से उपयोग किया गया और क्या यह धन वैध तरीके से दिखाने की कोशिश की गई. जांच में कुछ कंपनियों और व्यक्तिगत खातों का उपयोग सामने आया है.

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