करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस नए स्टेडियम का निर्माण कार्य अगले तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है निर्माण प्रक्रिया की टेंडरिंग लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. नवनिर्माण के बाद यह स्टेडियम गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम बन जाएगा.
इस भव्य स्टेडियम की दर्शक क्षमता 40,000 होगी यहां आईसीसी और बीसीसीआई के सभी मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा, स्टेडियम परिसर को बहुउद्देशीय बनाया जाएगा जिससे यह केवल एक खेल मैदान नहीं बल्कि एक पूर्ण स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनकर उभरेगा.
परिसर में दो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान बनाए जाएंगे. खिलाड़ियों की सुविधा के लिए जिम, स्पा, दो पूरी तरह से सुसज्जित ड्रेसिंग रूम, इनडोर प्रैक्टिस एरिया, प्रैक्टिस नेट, वीडियो विश्लेषण सुविधा, सेमिनार हॉल, बोर्ड रूम और एक फाइव स्टार होटल की भी योजना है. साथ ही, बैडमिंटन और वॉलीबॉल कोर्ट, हॉस्टल, रेस्टोरेंट और क्लब हाउस जैसी अन्य सुविधाएं भी मौजूद होंगी.
हालांकि, इस भव्य निर्माण कार्य के रास्ते में कुछ चुनौतियां भी हैं. सबसे प्रमुख चुनौती है मेट्रो रेल का अंडरग्राउंड स्टेशन, जो स्टेडियम परिसर की जमीन के हिस्से में बन रहा है. इसके अलावा, वर्तमान में मौजूद कदमकुआं थाना और साई ट्रेनिंग सेंटर को भी स्थानांतरित करना होगा. विशेषज्ञों के अनुसार, इन बाधाओं को चरणबद्ध तरीके से हल कर निर्माण कार्य को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है.
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने दावा किया है कि स्टेडियम के पूरी तरह बन जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के अलावा आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट भी यहां आयोजित किए जा सकेंगे. इसके रखरखाव पर हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
इस स्टेडियम का नाम सैयद मुहम्मद मोइन-उल-हक के नाम पर रखा गया है, जो एक प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद् और खेल प्रशासक थे. वे 1935 से 1953 तक बिहार नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे, और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के पहले अध्यक्ष भी थे. उन्हें 1970 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. मोइन-उल-हक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संस्थापक उपाध्यक्ष भी रहे, जिसकी स्थापना जमशेदपुर में एक ऐतिहासिक बैठक के बाद की गई थी.
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