11 जून, 2025 को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 78 साल के हो गए. आज लालू यादव के जन्मदिन पर हर कोई उनको बधाई और शुभकामनाएं दे रहा है. इस बीच लालू यादव के एक काम की खूब चर्चा हो रही है, जिसकी वजह से वह तब हंसी का पात्र बन गए थे.
Lalu Prasad Yadav Charwaha Vidyalaya: 11 जून, 2025 को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 78 साल के हो गए. आज लालू यादव के जन्मदिन पर हर कोई उनको बधाई और शुभकामनाएं दे रहा है. इस बीच लालू यादव के एक काम की खूब चर्चा हो रही है, जिसकी वजह से वह तब हंसी का पात्र बन गए थे. उस वक्त से लेकर आज तक लालू प्रसाद यादव के इस काम की वजह से उनकी किरकिरी होती रहती है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वह कौन सा काम था?
लालू यादव चरवाहा विद्यालय की वजह से हंसी के पात्र बन गए थे. जैसे वह जोकरई करते हैं, वैसे ही विद्यालय को लेकर भी किया था. लोग कहते हैं कि लालू का ये अंदाज निराला था.
दरअसल, लालू प्रसाद यादव ने साल 1991 में चरवाहा विद्यालय खुलवाया था, जब वह बिहार के सीएम थे. इसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई थी. कुछ लोग लालू के इस काम की खूब तारीफ कर रहे थे, तो कुछ लोग आलोचना.
23 दिसंबर 1991 में मुजफ्फरपुर के तुर्की में पहला चरवाहा विद्यालय खोला गया. औपचारिक रूप से जनवरी 1992 में इसका उद्घाटन किया गया था. चरवाहा विद्यालय को खोलने का लक्ष्य था कि समाज के सबसे वंचित वर्गों तक शिक्षा पहुंचे, लेकिन धीरे-धीरे ये मॉडल फ्लॉप हो गया.
चरवाहा स्कूल में 5 शिक्षक, नेहरू युवा केंद्र के 5 स्वयंसेवी और 5 एजुकेशन इंसट्रक्टर की तैनाती की गई थी. 1995 तक चरवाहा विद्यालयों की संख्या 354 हो गई थी. बच्चे अपने मवेशियों को अपने साथ ला सकते थे, उन्हें पास के खेतों में चरने दे सकते थे और जब उनके पास समय होता तो कक्षाओं में भाग ले सकते थे. हाजिरी को लेकर कोई बाध्यता नहीं थी.
चरवाहा विद्यालय योजना काफी हद तक विफल हो गई. रिपोर्ट बताती है कि स्कूल में धीरे-धीरे बच्चों ने आना बंद कर दिया, जिसकी वजह से शिक्षकों ने इनमें से कई स्कूलों में आना बंद कर दिया. अतत: चरवाहा विद्यालय मॉडल फ्लॉप होता चला गया.
आलोचक अक्सर इसे एक राजनीतिक नौटंकी के रूप में देखते हैं, जो क्वालिटी वाली शिक्षा देने या एक स्थायी सिस्टम बनाने में विफल रही. यह बिहार में शिक्षा की अलख जगाने में पूरी तरह से फेल साबित हुई.
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