बिहार: लोगों को नहीं है पर्यटन निगम के ऑफर की जानकारी, लक्जरी बसों का भी खस्ताहाल
Advertisement

बिहार: लोगों को नहीं है पर्यटन निगम के ऑफर की जानकारी, लक्जरी बसों का भी खस्ताहाल

पटना के आर ब्लॉक स्थित बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम यानी बीएसटीडीसी के दफ्तर के बुकिंग काउंटर से यात्री और सैलानी गायब रहते हैं. रखरखाव के अभाव में उसकी बेहतरीन वॉल्वो और कैरा वेन भी बेकार खड़ी हैं. 

बिहार पर्यटन का खस्ताहाल.

पटना: बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (BSTDC) एक बार फिर सैलानियों को सैर करानी की तैयारी कर रहा है. लेकिन बुनियादी ढांचों का घोर अभाव और व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने की वजह से उसके आकर्षक पैकेज की जानकारी लोगों को नहीं मिलती है. शायद यही है कि पर्यटन निगम के टूर पैकेज रियायती होने के बावजूद सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं.

पटना के आर ब्लॉक स्थित बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम यानी बीएसटीडीसी के दफ्तर के बुकिंग काउंटर से यात्री और सैलानी गायब रहते हैं. रखरखाव के अभाव में उसकी बेहतरीन वॉल्वो और कैरा वेन भी बेकार खड़ी हैं. 

दरअसल, बीएसटीडीसी हरबार सर्दी और गर्मी के शुरू होते ही रियायती दरों पर पर्यटकों के लिए खास पैकेज ऑफर करता है. इस बार भी ऐसा हुआ है, लेकिन टूर पैकेज के प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण टिकट काउंटर पर सैलानी नहीं पहुंच रहे हैं. प्रचार-प्रसार के नाम पर सिर्फ औपचारिकताओं को पूरा करते हुए दो छोटे बैनर लगाए गए हैं. शायद ही किसी की नजर इन बैनरों पर पड़े.

इसके अलावा उसके शानदार पैकेज की जानकारी देते होर्डिंग, बैनर या बोर्ड पूरी राजधानी में कहीं नहीं दिखते हैं. बुकिंग काउंटर का हाल भी बुरा है. काउंटर के अंदर पुरानी टूटी कुर्सियां हैं. बाहर बिल्कुल सन्नाटा पसरा है. सैलानियों के अनुसार, बिहार में घूमने के लिए तो कई जगह हैं, लेकिन बीएसटीडीसी की तरफ से कोई टूर पैकेज चलता भी है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

फिलहाल पर्यटन निगम ने तीन तरह के पैकेज ऑफर किए हैं. इस पैकेज में पटना से नालंदा-राजगीर-पावापुरी जैसी जगहों पर एसी ट्रैवलर, बस और कारवां वैन से आने-जाने की व्यवस्था है. 500 रुपए में एसी बस, 850 रुपए में ट्रैवलर और 8 हजार 820 रुपए में कारवां वैन उपलब्ध है. कारवां एक खास तरह की ट्रैवलर बस है, जिसमें 7 से 8 लोगों के बैठने की क्षमता है. इसमें दो एलईडी टेलीविजन स्क्रीन, छोटा फ्रिज, माइक्रोवेव के साथ ही अटैच बाथरूम है. लेकिन फिलहाल इसकी हालत बदतर है. कारवां ट्रैवलर बस को लाल कलर के बैनर से सजाया गया है. बाहर से तो ये आकर्षक दिखता है, लेकिन अंदर की कहानी कुछ और है. कारवां के अंदर लगाए गए सोफे अस्त व्यस्त पड़े हैं.

यही हाल पर्यटन निगम की वॉल्वो बसों का भी है, जो लाखों की कीमत के बावजूद रखरखाव के कारण बेकार पड़े हैं. पर्यटन निगम में ट्रेवल एंड ट्रेड के प्रबंधक ब्रजेश किशोर के मुताबिक, बिहार में सैलानियों का आकर्षण बढ़ा है और इससे निगम को लाखों की आमदनी भी होती है. लेकिन आधारभूत ढांचा और प्रचार-प्रसार के मसले पर सवाल पूछे जाने पर ब्रजेश किशोर ने इसका ठिकरा पर्यटन मंत्रालय पर थोप दिया. ब्रजेश किशोर के मुताबिक, साल 2018-19 में पर्यटन निगम को उसके खास ऑफर से 17 लाख 35 हजार 260 रुपए की आय हुई है.

बिहार में ऐतिहासिक पर्यटन के साथ ही धार्मिक पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं. आज मार्केटिंग और प्रचार-प्रसार का जमाना है, लिहाजा पर्यटन निगम के लिए जरूरी है कि वो अपने टूर पैकेज और दूसरे प्लानों का भी व्यापक प्रचार-प्रसार करे, ताकि यात्री बिहार की विरासकतों को जान सकें. पर्यटन निगम तभी सफल हो सकेगा जब वो अपनी ब्रांडिंग सही तरीके से करे.