इस गांव में होती थी चमगादड़ की पूजा, अब निपाह वायरस के डर से भाग रहे लोग
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इस गांव में होती थी चमगादड़ की पूजा, अब निपाह वायरस के डर से भाग रहे लोग

पहले चमगादड़ों को शुभ मानकर हाजीपुर के सरसई गांव में उनकी पूजा की जाती थी लेकिन अब गांववाले इनसे बचने का उपाय ढूंढ रहे हैं. 

पिछले दिनों केरल में निपाह वायरस के कुछ मामले नजर आए थे.

हाजीपुर: वैशाली जिले का सरसई गांव कुछ दिनों पहले तक चमगादड़ों की पूजा के लिए प्रसिद्ध था लेकिन आज ये गांव चमगादड़ों की वजह से डरा हुआ है. पहले चमगादड़ों को शुभ मानकर उनकी पूजा की जाती थी लेकिन अब गांववाले इनसे बचने का उपाय ढूंढ रहे हैं. दरअसल सभी ग्रामीण निपाह वायरस की वजह से डरे हुए हैं. 

  1. हाजीपुर के सरसई गांव में होती थी चमगादड़ों की पूजा
  2. अब निपाह वायरस की वजह से डर के साये में जी रहे लोग
  3. सरसई के पेड़ों पर रहते हैं भारी संख्या में चमगादड़

आपको बता दें कि चेन्नई में चमगादड़ों से आए निपाह वायरस के चपेट में आने से 11 लोगों की मौत के बाद यह गांव चमगादड़ों से इस कदर डरा हुआ है कि ग्रामीण अपने बच्चों को खेलने तक नहीं जाने दे रहे.अगर बच्चे बाहर निकल भी जाते हैं तो अभिवावक डर के मारे उनके साथ ही रहते हैं. उन्हें डर है कि केरल के बाद बिहार में यह वायरस ना दस्तक दे दे.

निपाह वायरस की खबर लगातार फैलने के बाद गांव के सरपंच आमोद निराला ग्रामीणों को निपाह वायरस के बारे में बता रहे हैं और लोगों को समझा रहे हैं कि बच्चों को पेड़ से गिरा हुआ फल ना खाने दें. इसके अलावा वो लोगों को ताड़ी पीने से भी मना कर रहे हैं.दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में चमगादड़ सैकड़ों सालों से इस गांव में पेड़ों पर रहते हैं.

केरल में 'निपाह' वायरस का कहर, अब तक 11 लोगों की मौत

ऐसी मान्यता है कि इन चमगादड़ों की वजह से इस गांव में कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं फैली. उनका मानना है कि इस गांव के आसपास के गांवों में कई बार लाइलाज गंभीर बीमारियां फैल चुकी है जिसकी वजह से कई जाने भी गईं लेकिन सरसई गांव में चमगादड़ों के कारण कोई बीमारी नहीं फैली. 

निपाह एक तरह का संक्रमण फैलाने वाला वायपस है.डब्लयूएचओ के मुताबिक इस वायरस का नैचुरल होस्ट फ्रूट बैट होता है. ये चमगादड़ों के मूत्र लार और शरीर से निकलने वाले द्रव्यों में होता है. केरल में निपाह विषाणु से प्रभावित एक और व्यक्ति की मृत्यु हो गई. इस के साथ राज्य में इस खतरनाक विषाणु से मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई. कोझिकोड जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयश्री ई ने संवाददाताओं को बताया कि मृतक की पहचान वी मूसा (61) के तौर पर हुई है. मूसा पिछले कुछ दिन से यहां के एक निजी अस्पताल में कुछ दिन से जीवन और मौत के बीच जूझ रहे थे. उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. उन्होंने बताया कि करीब 160 नमूनों को जांच के लिये वायरोलॉजी संस्थान भेजा गया है और 14 मामलों में इस विषाणु की पुष्टि हुई है.