बिहार की समृद्ध कला, संस्कृति और परंपराओं को दिल्लीवासियों के करीब लाने के लिए बिहार उत्सव 2025 का आयोजन दिल्ली हाट, आईएनए में 16 मार्च से 31 मार्च तक किया जा रहा है. इस उत्सव में बिहार के ग्रामीण कारीगर, बुनकर और हस्तशिल्पी अपनी अनमोल कृतियों का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे आगंतुक बिहार की अनूठी कला और परंपराओं को नजदीक से देख और समझ सकते हैं.
बिहार उत्सव 2025 के दौरान 22 मार्च को बिहार दिवस के अवसर पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इस दिन पारंपरिक लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियां दर्शकों को बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का काम करेंगी. इस भव्य आयोजन में कलाकारों द्वारा बिहार की लोक परंपराओं की झलक देखने को मिलेगी.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार भवन के रेजिडेंट कमिश्नर श्री कुंदन कुमार, आईएएस ने किया. इस अवसर पर श्री शेखर आनंद, आईएएस, डायरेक्टर, टेक्निकल डेवलपमेंट विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. उद्घाटन समारोह के दौरान अतिथियों ने बिहार उत्सव की महत्ता और बिहार की कला एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार में इसकी भूमिका पर विचार साझा किए.
रेजिडेंट कमिश्नर श्री कुंदन कुमार ने कहा कि बिहार उत्सव केवल एक कला और सांस्कृतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह बिहार की समृद्ध विरासत को देश-दुनिया से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण मंच है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस उत्सव के माध्यम से दिल्लीवासियों की बिहार की अनूठी कलाओं में रुचि बढ़ेगी और वे बिहार की यात्रा के लिए भी प्रेरित होंगे.
विशिष्ट अतिथि श्री शेखर आनंद ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बिहार के कारीगरों को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलती है. इससे न केवल उनके हुनर को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह राज्य की आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक संरक्षण में भी अहम योगदान देगा. बिहार के परंपरागत कारीगरों को अपनी कला को प्रदर्शित करने और उसे बाजार तक पहुंचाने का यह एक बड़ा अवसर है.
उत्सव में भाग लेने वाले कारीगर बिहार की प्रसिद्ध सिल्क, खादी, मधुबनी, टिकुली, मंजूषा पेंटिंग्स, सूजनी कढ़ाई, सिक्की कला, लकड़ी और बांस के उत्पाद सहित कई हस्तशिल्पों का विस्तृत प्रदर्शन कर रहे हैं. आगंतुक इन पारंपरिक कलाओं को न केवल देख सकते हैं, बल्कि इन्हें खरीद भी सकते हैं, जिससे बिहार के कारीगरों को आर्थिक लाभ भी होगा.
इस उत्सव में बिहार के लजीज व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जहां लोग लिट्टी-चोखा, ठेकुआ, सत्तू पराठा, खाजा, अनरसा, और मखाना डिशेज का स्वाद चख सकते हैं. यह उत्सव न केवल कला प्रेमियों के लिए, बल्कि खाने के शौकीनों के लिए भी खास आकर्षण साबित हो रहा है.
बिहार उत्सव 2025, बिहार सरकार द्वारा आयोजित एक वार्षिक आयोजन है, जिसका उद्देश्य बिहार की कला, संस्कृति और परंपराओं को देशभर के लोगों तक पहुंचाना है. यह आयोजन बिहार के हस्तशिल्प और लोक कलाकारों को एक बड़ा मंच देता है, जिससे वे अपनी कला को देश-दुनिया तक पहुंचा सकते हैं.