IFS Vikram Misri Jharkhand Connection: विक्रम मिश्री भारत के 35वें विदेश सचिव हैं. आज कल वह अपनी कूटनीति और भारत-पाकिस्तान तनाव में सक्रिय भूमिका के लिए चर्चा में हैं. उनका जन्म श्रीनगर में हुआ. 1989 में IFS जॉइन करने के बाद उन्होंने ब्रसेल्स, बीजिंग और वॉशिंगटन में भारतीय दूतावासों में काम किया. 2019-2021 में चीन में भारत के राजदूत के रूप में गलवान घाटी विवाद में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी.
विक्रम मिश्री का जन्म 1964 में श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा श्रीनगर, उधमपुर और ग्वालियर में हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की. उनकी शैक्षिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव झारखंड के जमशेदपुर का XLRI रहा, जहां उन्होंने 1987 में मैनेजमेंट (MBA) की पढ़ाई पूरी की.
XLRI से MBA करने के बाद विक्रम मिश्री ने लगभग तीन साल तक विज्ञापन एजेंसियों में काम किया. लेकिन 1989 में उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया जब वे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने अपने कूटनीतिक करियर की शुरुआत की और ब्रसेल्स, वॉशिंगटन, इस्लामाबाद, ट्यूनिस और बीजिंग जैसे देशों में भारतीय दूतावासों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं.
विक्रम मिश्री ने अपने करियर में कई बड़े पदों पर काम किया. वे तीन प्रधानमंत्रियों - आई. के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव रहे. 2019 से 2021 तक वे चीन में भारत के राजदूत थे और गलवान घाटी विवाद के दौरान भारत-चीन वार्ता में अहम भूमिका निभाई. उनकी कूटनीतिक समझ और अनुभव ने उन्हें विदेश मंत्रालय में एक मजबूत चेहरा बनाया.
15 जुलाई 2024 को विक्रम मिश्री को भारत का 35वां विदेश सचिव नियुक्त किया गया. यह विदेश मंत्रालय का सर्वोच्च प्रशासनिक पद है. इस भूमिका में उनकी जिम्मेदारी भारत की विदेश नीति को लागू करना, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को संभालना और कूटनीतिक फैसलों में सलाह देना है. हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान उनकी सक्रियता ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया.
विदेश सचिव को 2 लाख रुपये से अधिक का मासिक वेतन, सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा, स्टाफ और डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलती हैं. यह पद न केवल प्रतिष्ठित है, बल्कि इसमें वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की बड़ी जिम्मेदारी भी शामिल है. मिश्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस और बयान देश-विदेश में चर्चा का विषय बने हुए हैं.
विदेश सचिव बनने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर IFS में शामिल होना पहला कदम है. इसके बाद वर्षों तक दूतावासों, मंत्रालयों और अंतरराष्ट्रीय मिशनों में अनुभव जरूरी है. सेवा गुणवत्ता और नेतृत्व क्षमता के आधार पर वरिष्ठ पदों पर पदोन्नति होती है. विदेश सचिव की नियुक्ति कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री शामिल होते हैं.