डीएवी के छात्र आशीष हत्याकांड के बाद पुलिस की उदासीनता से नाराज लोगों ने सड़क पर उतर कर जमकर प्रदर्शन किया और आशीष को न्याय दिलाने की मांग की.
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रवि मिश्रा/बक्सरः बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल के रहने वाले रिटायर्ड फौजी गजेंद्र तिवारी के 13 वर्षीय पुत्र आशीष तिवारी का अपहरण के बाद हत्या किए जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने पुलिस के प्रशासन के खिलाफ डुमराव शहर में आक्रोश मार्च निकाला और शहर को बंद कराया. जगह-जगह सड़कों पर उतरकर लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. लोगों का आरोप है कि मामले में पुलिस प्रशासन ने तत्परता नहीं दिखाई जिसके कारण अपहरण के 18 दिन बाद छात्र आशीष तिवारी का क्षत-विक्षत हालत में शव बरामद किया गया.
डीएवी के छात्र आशीष हत्याकांड के बाद पुलिस की उदासीनता से नाराज लोगों ने सड़क पर उतर कर जमकर प्रदर्शन किया और आशीष को न्याय दिलाने की मांग की. इस दौरान लोगों ने पुलिस अधीक्षक का पुतला भी जलाया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों ने कहा कि आशीष के अपहरण के बाद अपराधियों ने आशीष के पिता से 30 लाख रुपये फिरौती की मांग की, बावजूद इसके पुलिस ने टालमटोल की नीति अपनाई. पुलिस के लचर रवैया के कारण आशीष को सकुशल बरामद नहीं किया जा सका और नतीजा यह हुआ कि 18 दिन बाद आशीष का शव डुमराव डीएसपी आवास से कुछ ही दूरी पर एक अर्ध निर्मित मकान से बरामद किया गया.
पूरे जिले को मर्माहत करने वाली इस खबर ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है, लिहाजा लोगों में आक्रोश का होना भी लाजमी है. इससे पहले मृतक आशीष के परिजन भी पुलिस पर मामले में टालमटोल की नीति अपनाए जाने का आरोप लगा चुके हैं. लोगों ने बताया कि बक्सर जिला डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का गृह जिला है लिहाजा इस मामले में छात्र आशीष की सकुशल बरामदगी के लिए उनसे भी परिजनों के तरफ से गुहार लगाई गई थी लेकिन नतीजा सबके सामने है. बहरहाल आक्रोशितो ने इस बाबत पुलिस को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि अगर इस अवधि में हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होती है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
जाहिर है बक्सर पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवालों ने एक बार फिर आम लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन अपने खिलाफ उबल रहे जन आक्रोश को शांत करने के लिए इस दिशा में क्या कुछ कार्रवाई करता है, क्योंकि अगर जल्द ही आशीष के हत्यारों को नहीं पकड़ा गया तो लोगों ने आंदोलन को और तेज करने की साफ साफ चेतावनी दी है. जाहिर है आने वाले दिनों में पुलिस प्रशासन के लिए है चेतावनी परेशानी का सबब बन सकता है.
हालांकि कल आशीष का शव मिलने के बाद से ही लोगों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा था जिसके कारण लोगों ने आज 25 अगस्त को प्रशासन के खिलाफ डुमराव शहर को बंद करने के साथ-साथ आक्रोश मार्च का आयोजन किया था. इस बाबत पुलिस प्रशासन के तरफ से डुमराव में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी. प्रशासन द्वारा अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी के आश्वासन के बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ.
गौरतलब है कि पिछले 7 अगस्त को आशीष उस वक्त लापता हो गया था जब वह अपने दोस्तों के साथ मेला देखने के लिए घर से निकला था. जब वह घर नहीं लौटा तो उसके परिजनों ने उसकी काफी खोजबीन की. जब उसका कुछ भी पता नहीं चला तो डुमरांव थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया था. ठीक एक दिन बाद 8 अगस्त को उसके पिता के मोबाइल पर आशीष के मोबाइल से ही अपहरणकर्ताओं ने फोन कर 30 लाख रुपये फिरौती की मांग की थी और आशीष का अपहरण कर लेने की बात बताई थी. फिरौती की राशि मांगे जाने के बाद से लगातार आशीष का मोबाइल बंद आ रहा था जिसके बाद आशीष के पिता ने अपहरण का मामला दर्ज कराया था.