बिहार : सुषमा स्वराज के निधन को नेताओं ने एक सुर में बताया अपूरणीय क्षति
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बिहार : सुषमा स्वराज के निधन को नेताओं ने एक सुर में बताया अपूरणीय क्षति

बिहार सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री प्रमोद कुमार ने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सुषमा जी का बिहार से करीब का नाता रहा है.

सुषमा स्वराज के निधन पर सभी नेताओं ने जताया शोक.

पटना : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कल यानी मंगलवार की रात को निधन हो गया. अपनी भाषण शैली और ट्वीट के जरिए जरूरतमंद लोगों को समय पर मदद पहुंचाने के लिए मशहूर हुईं सुषमा स्वराज के निधन पर बिहार के हर दलों के नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है. सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ही नहीं दूसरे दलों के नेता भी उनके निधन से स्तब्ध और शोकाकुल दिखे.

भारत की पूर्व विदेश मंत्री और अपनी शानदार भाषण शैली से लोगों का कायल बना देने वाली सुषमा स्वराज का निधन हो गया. बिहार में भी उनके निधन पर शोक का माहौल है. हर कोई अपने अपने ढंग से अपनी शोक संवेदना जाहिर कर रहा है. बिहार सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री प्रमोद कुमार ने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सुषमा जी का बिहार से करीब का नाता रहा है.

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान जब जॉर्ज फर्नांडिस मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ रहे थे, तब उन्होंने जमकर प्रचार-प्रसार किया. प्रमोद कुमार के मुताबिक, वो बिहार आती रही हैं और जिस तरह से उन्होंने जिंदगी में सबको अपना बनाया वो बेमिसाल है. प्रमोद कुमार ने कहा कि ये उनकी भाषण शैली का ही कमाल था कि जॉर्ज फर्नांडीज जेल में रहकर भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे.

बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता कृष्णनंदन वर्मा ने भी सुषमा स्वराज के निधन पर शोक जताया है. कृष्णनंदन वर्मा के मुताबिक, आज के समय में बहुत ही कम राजनेता हैं जिनकी प्रतिष्ठा और इज्जत दूसरे दलों में है. सुषमा स्वराज ऐसे ही नेता थीं, जिन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों की मदद की.

बिहार सरकार में कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी सुषमा स्वराज के निधन को देश के लिए क्षति बताया है. प्रेम कुमार के मुताबिक, बीजेपी को दो पार्टी से 182 तक पहुंचाने वाली पार्टी में सुषमा स्वराज की बड़ी भूमिका थी. प्रेम कुमार के मुताबिक, उन्होंने बीजेपी की सदस्यता तब ली जब पार्टी संघर्ष कर रही थी. इस तरह वो बीजेपी के संघर्ष के दिनों की सहयात्री थीं.

सुषमा स्वराज ने अटलजी की सरकार में और नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अहम पदों को संभाला. सुषमा स्वराज नेता से बढ़कर एक ऐसी महिला थी जिनके मन में दया थी. पिछले पांच साल में शायद ही ऐसा कोई विदेश में बसा भारतीय हो, जिसने मुसीबत में फंसने पर सुषमा स्वराज को याद नहीं किया. सुषमा स्वराज ने उनकी मदद भी की. ये सुषमा स्वराज की कार्यशैली का ही नतीजा था कि उन्होंने विदेश मंत्रालय को हर भारतीय के सुलभ बनाया.

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