भाजपा ने झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन को दिया जवाब, कहा- RSS ‘चूहा’ नहीं, बल्कि ‘हिंदू शेर’
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भाजपा ने झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन को दिया जवाब, कहा- RSS ‘चूहा’ नहीं, बल्कि ‘हिंदू शेर’

Jharkhand Politics: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरएसएस की तुलना ‘‘चूहों’’ से की थी और भाजपा और आरएसएस दोनों पर वोट हासिल करने के लिए राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था. इसी पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘चूहा’ नहीं, बल्कि ‘हिंदू शेर’ है.

भाजपा ने झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन को दिया जवाब, कहा- RSS ‘चूहा’ नहीं, बल्कि ‘हिंदू शेर’

Jharkhand Politics: रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ‘चूहा’ नहीं, बल्कि ‘हिंदू शेर’ है. पार्टी ने यह टिप्पणी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पलटवार करते हुए कहा और उन पर राजनीतिक लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है.

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन ने बुधवार को आरएसएस की तुलना ‘‘चूहों’’ से की थी और भाजपा तथा आरएसएस दोनों पर वोट हासिल करने के लिए राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था. 

झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी ने कहा, ‘‘हेमंत सोरेन ने आरएसएस की तुलना चूहों से की. यह उन ‘हिंदू शेरों’ का अपमान है जो सनातन धर्म के गौरव को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. सोरेन जॉर्ज सोरोस की तर्ज पर काम कर रहे हैं. क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए वह (सोरेन) बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं.’’ 

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भाजपा आरोप लगाती रही है कि हंगरी में जन्मा अमेरिकी अरबपति सोरोस भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को निशाना बना रहा है, ताकि उसके द्वारा चुने गए लोगों को सरकार चलाने का मौका मिल सके. झारखंड में जनसांख्यिकीय परिवर्तन नहीं होने की सोरेन की टिप्पणी पर कटाक्ष करते हुए बाउरी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री केवल अपने और अपने परिवार तथा उनके कल्याण के बारे में चिंतित हैं. 

उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्थान भोगनाडीह से उन्होंने कहा कि कोई जनसांख्यिकीय परिवर्तन नहीं हुआ है, वह 1855 के संथाल विद्रोह का मुख्य केंद्र रहा है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वहां 40,000 में से केवल सात संथाल परिवार कैसे रह गए. 

अगर कोई जनसांख्यिकीय परिवर्तन नहीं हुआ तो वे कहां गायब हो गए?’’ तीस जून, 1855 को बड़ी संख्या में संथाल भोगनाडीह के एक मैदान में एकत्र हुए थे और खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. उन्होंने सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में ब्रिटिश शासकों तथा उनके एजेंटों के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ने की शपथ ली थी. 

सोरेन ने विशेष रूप से असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की ओर इशारा करते हुए साहिबगंज के भोगनाडीह में एक रैली को संबोधित करते हुए दावा किया था कि भाजपा हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कलह पैदा कर रही है. असम के मुख्यमंत्री झारखंड में भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी हैं. 

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सोरेन ने रैली को रांची से डिजिटल रूप से संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आरएसएस राज्य पर चूहों की तरह आक्रमण कर उसे नष्ट कर रहा है. जब आप ऐसी ताकतों को अपने गांवों में ‘हंडिया’ और ‘दारू’ (स्थानीय रूप से बनी शराब) के साथ प्रवेश करते हुए देखें तो उन्हें दूर भगाएं...वे राजनीतिक लाभ के लिए चुनाव से पहले सांप्रदायिक अशांति और तनाव पैदा करना चाहती हैं.’’ 

उन्होंने कहा कि जब खुद असम में आदिवासियों को कथित तौर पर अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है, तो झारखंड में शर्मा की मौजूदगी का क्या औचित्य है. सोरेन ने इस मुद्दे पर बुधवार को शर्मा को पत्र भी लिखा.

इनपुट - भाषा 

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