Bihar Floor Test: नीतीश कुमार ने जब पलटी मारकर 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब कहा जा रहा था कि कांग्रेस विधायकों पर एनडीए की नजर है और उसमें आसानी से सेंधमारी हो सकती है. बाकी राज्यों के उदाहरण को देखकर यह गलत भी नहीं था. कांग्रेस कई राज्यों में आसानी से टूटती रही है और उसके विधायक अपनी विधायकी को दांव पर लगाकर भी विरोधी दलों को फायदा पहुंचाते रहे हैं. कांग्रेस विधायकों में सेंधमारी की भनक लालू प्रसाद यादव को लगी तो उन्होंने पार्टी आलाकमान को सचेत कर दिया और बहुत सही समय से कांग्रेस विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया. फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले ही कांग्रेस विधायक पटना पहुंचे और उन्हें तेजस्वी यादव के आवास पर ठहराया गया. सोमवार को फ्लोर टेस्ट के दिन जब राजद के 2, भाजपा के 3 और जेडीयू के 3 विधायक अनुपस्थित बताए जा रहे हैं तो ऐसे में कांग्रेस आलाकमान इस बात से सुकून महसूस करेगा कि उसके विधायक टूटने से बच गए. 


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नीतीश कुमार के भाजपा के साथ आने के बाद से ही कांग्रेस में टूट के कयास लगाए जाने लगे. इसके कारण भी बताए गए कि नीतीश कुमार के करीबी नेता अशोक चौधरी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और वे कांग्रेस विधायकों में सेंध लगा सकते हैं. यहां तक कि खबर आई कि अशोक चौधरी कांग्रेस विधायकों के संपर्क में हैं. पूर्णिया में जब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो वहां 19 में से केवल 7 विधायक ही पहुंचे. इससे आलाकमान सकते में आ गया.


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लालू प्रसाद यादव ने फौरन कांग्रेस आलाकमान से बात कर विधायकों को शिफ्ट करने का सुझाव दिया और कांग्रेस आलाकमान ने इस पर तुरंत अमल भी किया और इस तरह से कांग्रेस विधायक टूट नहीं पाए. आज जब राजद की नीलम देवी और चेतन आनंद, भारतीय जनता पार्टी के मिश्रीलाल, रश्मि वर्मा और भागीरथी देवी के अलावा जेडीयू की बीमा भारती, डा. संजीव और दिलीप अनुपस्थित हैं तो कांग्रेस अपने विधायकों को बचा ले जाने के लिए खुद की पीठ थपथपा सकती है. कहां तो वह सत्तारूढ़ दल के निशाने पर थी और सबसे साफ्ट टारगेट मानी जा रही थी और कहां वह आसानी से कह सकती है कि उसके विधायक निष्ठावान हैं और टूटने से बच गए.