Bihar News: शराबबंदी कानून मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए अब मुसीबत बनता जा रहा है. एक अधिवक्ता सुशील सिंह (Sushil Singh) ने मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट (Muzaffarpur CJM Court) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजियाल सहित राज्य के सभी उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ परिवार दायर किया है. अधिवक्ता सुशील सिंह का आरोप है कि शराबबंदी कानून बिहार में बिना जागरूकता के लागू की गई, जिससे अब तक 243 लोगों की जान जा चुकी है. दरअसल, सुशील सिंह ने आरटीआई के माध्यम से जहरीली शराब से मरने वालों की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में उन्हें जानकारी दी गई थी कि राज्य में जहरीली शराब से 243 लोगों की मौत हुई है. 


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अधिवक्ता सुशील सिंह का आरोप है कि शराबबंदी कानून सही से लागू नहीं किया गया और इस बारे में लोगों को जागरूक भी नहीं किया गया, जिससे 243 लोगों की मौत हो गई. परिवाद में सुशील सिंह ने सीएम नीतीश कुमार के अलावा राज्य के उत्पाद विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया है. यही नहीं सुशील सिंह ने सीएम नीतीश कुमार और अफसरों को गैर इरादतन हत्या का आरोपी भी बनाया है. उन्होंने इनलोगों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 304, 120 बी और 34 के तहत परिवाद दायर किया है. कोर्ट ने उनके परिवाद को स्वीकार भी कर लिया है. 


कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है. परिवाद में कहा गया है कि 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया. उसके लिए न तो पहले से कोई तैयारी की गई और न ही इस बारे में लोगों को जागरूक किया गया. परिवाद में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य के बड़े नेता, नौकरशाह, पूंजीपति, डॉक्टर, इंजीनियर और माफिया महंगे शराब का सेवन कर रहे हैं और उनके खिलाफ आंशिक कार्रवाई की जा रही है. दूसरी ओर, राज्य के कुछ गरीब और साधनहीन लोग जहरीली शराब का सेवन कर रहे हैं, जिससे उनके शरीर को क्षति पहुंच रही है. इन्हीं तबकों के लोगों को शराबबंदी कानून में जेल भी भेजा जा रहा है. 


सुशील सिंह का आरोप है कि बिहार में दो तरह के शराबबंदी कानून लागू हैं. बड़े लोगों के लिए शराबबंदी कानून के मायने कुछ और हैं और गरीब व साधनहीन लोगों के लिए कुछ और. इस तरह से बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अपराध का नया तरीका पैदा हो गया है.