Bihar News: लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान इस समय मुखर हैं. वे आरा में रैली कर चुके हैं और 29 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ में बहुजन रैली कर अपना आधार बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. कभी कभी लगता है कि वे महागठबंधन से ज्यादा एनडीए के घटक दलों से लड़ रहे हैं.
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Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारियां चल रही हैं. हर कोई कमर कस रहा है. जहां एनडीए में अभी आपस में मतभेद दिख रहे हैं, वहीं महागठबंधन में खींचतान के बाद भी अभी तक सब ठीक दिख रहा है. हालांकि सीट शेयरिंग के समय यह खींचतान और तेज हो सकती है. न केवल महागठबंधन में बल्कि एनडीए में सीट शेयरिंग के समय काफी कुछ हलचल देखने को मिल सकती है. एनडीए की बात करें तो इस समय सबसे मुखर चिराग पासवान दिख रहे हैं. वे अपने संबोधनों से भाजपा और जेडीयू पर दबाव बनाते दिख रहे हैं. 29 जून को वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में बड़ी रैली करने जा रहे हैं. इसके अलावा विधानसभा चुनाव भी लड़ने जा रहे हैं और यहां तक दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ही है. हालांकि, जानकार बता रहे हैं कि चिराग पासवान अभी दबाव की राजनीति कर रहे हैं और 70 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं. हालांकि उनकी रणनीति एनडीए में 40 सीटें हासिल करने की है और एक सच्चाई यह भी है कि लोजपा रामविलास को 28 से 33 सीटें ही मिल सकती हैं.
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वैसे तो चिराग पासवान बिहार की 70 सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन वे 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इसके पीछे वे लोकसभा चुनाव में 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट का राग अलाप रहे हैं. उनका मानना है कि जितनी भी सीटें मिलेंगी, लोजपा रामविलास सभी सीटें जीत सकती है. हालांकि राजनीति में ऐसा अकसर नहीं होता. माना जा रहा है कि एनडीए में चिराग पासवान को 28 से 33 सीटें लड़ने को मिल सकती हैं. 33 सीटें भी तब मिलेंगी, जब जेडीयू और भाजपा 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि चिराग पासवान बिहार में कैसे किंगमेकर की भूमिका में आ पाएंगे.
अगर भाजपा और जेडीयू 102-102 सीटों पर चुनाव लड़ते हैं तो बाकी बची 39 सीटों को लोजपा रामविलास, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा में बांटा जाएगा. इनमें से लोजपा रामविलास को एक बड़ा हिस्सा मिल सकता है. वो 28 से 30 भी हो सकता है. अगर लोजपा रामविलास 30 सीटों पर चुनाव लड़ती है तब बाकी बची 9 सीटों में से जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों के बीच बंटवारा हो सकता है. इसमें 5 और 4 का फॉर्मूला लगाया जा सकता है. हालांकि यह तब संभव होगा, जब चिराग पासवान 30 सीटों पर मान जाएं. अगर वे नहीं मानें तो कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट भी हो सकती है. ऐसे में जेडीयू के लिए नुकसानदेह स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि 2020 में चिराग पासवान उसे काफी परेशानी में डाल चुके हैं.
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दरअसल, 2020 में चिराग पासवान की पार्टी ने एकला चलो के नाम पर जेडीयू के कोटे वाली सीटों के अलावा पूरे बिहार में 137 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. हालांकि केवल एक प्रत्याशी ने ही जीत हासिल की, लेकिन 33 सीटें ऐसी रहीं, जहां चिराग पासवान की पार्टी ने जेडीयू को सीधा नुकसान पहुंचाया था. 28 सीटें ऐसी थीं, जहां लोजपा प्रत्याशी को जेडीयू प्रत्याशी की हार के अंतर से अधिक वोट हासिल हुए थे. 5 सीटों पर लोजपा प्रत्याशियों ने जेडीयू को तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया था.