Jitan Ram Manjhi: एक तरफ नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को एक मंच पर भाजपा के खिलाफ लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं महागठबंधन के सात गठबंधन सहयोगियों को 40 में से कितनी सीट चाहिए इसकी पूरी गणना करके सभी दल बैठे हुए हैं लेकिन नीतीश को सबसे पहले आंखें तरेर कर किसी ने दिखाई तो वह हम के जीतन राम मांझी हैं. जिन्होंने विपक्षी एकता की बैठक के पहले ही साफ कह दिया कि उन्हें 5 लोकसभा सीट अपनी पार्टी के लिए 2024 में लड़ने के चाहिए और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो वह किसी के भी साथ जाने के लिए स्वतंत्र हैं. उनका इशारा तब सभी को समझ में आ गया था. फिर नीतीश के साथ जीतन राम मांझी की मुलाकात सीएम आवास में हुई तब नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को गले लगाते हुए उनसे साथ निभाने का वादा करा लिया. 


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हालांकि 'कसमे वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या?' यह गाना तो आपने सुना ही होगा तो आपको बता दें कि यह रील लाइफ से ज्यादा रियल लाइफ या कहें तो राजनीति में फीट बैठता है. यहां जीतन राम मांझी ने भी कुछ ऐसा ही किया. एक तरफ मांझी की पार्टी ने साफ कर दिया कि विपक्षी एकता की बैठक के उनके नेता को निमंत्रण अभी तक नहीं मिला है तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार की पार्टी की तरफ से कहा गया कि चूकि विपक्षी एकता की बात नीतीश की अगुवाई में हो रही है ऐसे में यहां के महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों की तरफ से प्रतिनिधित्व नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव कर रहे हैं. 


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इस सब के बीच जीतन राम मांझी ने इशारों-इशारों में जो कहा वह नीतीश के लिए किसी झटके से कम नहीं होने वाला है. जीतन राम मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि वह यानी उनकी पार्टी हम लोकसभा चुनाव 2024 में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे. मतलब जीतन राम मांझी के वोट बैंक को नीतीश की नजर से भी देखें तो समझ सकते हैं कि वह किधर शिफ्ट होने वाला है. दरअसल मांझी की अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि वह एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं. 


हालांकि उन्होंने नीतीश को लेकर यह जरूर कह दिया कि वह जो कर रहे हैं उसमें उन्हें सफलता मिलेगी. हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकार करने की बात तो कह दी लेकिन यह कह बैठे की वह एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. एक तरफ जहां मांझी पांच सीटों की मांग कर रहे थे उनके बेटे संतोष सुमन तो अपनी सीटों की पूरी तैयारी कर चुकने का दावा कर रहे थे. ऐसे में मांझी का इस तरह का बयान आखिर क्या इशारा कर रहा है. क्या नीतीश कुमार से भाव नहीं मिलना मांझी को बागी बना रहा है?