पटना : बिहार में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने गई अधिकारियों की टीम पर हमले ने बिहार की सियासत को गर्म कर दिया है. विपक्ष अब नीतीश कुमार को इस मामले में कटघरे में लेकर कई सवाल पूछ रहा है. नीतीश कुमार पर आरोप लग रहा है जिस माफिया तंत्र को खत्म किया गया था एक बार फिर से नीतीश कुमार ने राजद के हाथों में उस खनन विभाग की जिम्मेदारी सौंपकर उस माफिया तंत्र को सक्रिय कर दिया है.


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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री, भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस घटना के बाद नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला और नीतीश कुमार को इस मामले में आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार में लालू प्रसाद यादव और बालू माफिया का रिश्ता अटूट रहा है. यही वजह है कि उनके परिवार के लोगों के पावर में आते या राजद के सत्ता में वापसी के साथ ही बालू माफिया के हौसले बुलंद हो जाते हैं. यही कारण है कि अधिकारियों पर माफिया हमला कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लालू - बालू के रिश्ते से पुलिस पर माफिया के हमले बढ़े हैं.




सुशील मोदी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने राजद को खनन विभाग देकर बिल्ली को दूध की रखवाली सौंप दी है. ऐसे में प्राकृतिक सम्पदा की लूट न रोक पाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं. राजद के बढ़ते दुस्साहस का परिणाम है कि महिला अधिकारी पर जानलेवा हमला हुआ.



उन्होंने आगे कहा कि बालू माफिया सुभाष यादव को राजद ने चतरा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था. दूसरे बालू माफिया राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव बलातकार के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं. इन्हीं सुभाष यादव और अरुण यादव ने राबड़ी देवी के 8 फ्लैट एक ही दिन में 5करोड़ 28 लाख में खरीदे थे. बालू माफिया राजद की पोलिटिकल फंडिंग करता है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले छह माह पुलिस पर बालू माफिया के हमले के एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुईं. बिहटा-मनेर-विक्रम इलाके में राजनीतिक संरक्षण-प्राप्त बालू माफिया के हमले की एक घटना में 1000 राउंड गोलियां चली थीं. नीतीश कुमार में बालू माफिया पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है, इसलिए अवैध खनन बढ रहा है और राजस्व वसूली घट रही है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार खनन विभाग में फर्जी चालान से स्कूटर, कार, एंबुलेंस में बालू की ढुलाई से विभाग को 355 करोड़ रुपया का नुकसान हुआ, साथ ही वर्ष 22-23 में अवैध खनन के कारण राजस्व में लक्ष्य से 500 करोड़ रुपया कम संग्रह हुआ. जब राजद विधायक के चहेते खनन विभाग के पटना कार्यालय में घुसकर कर्मचारियों से मारपीट और तोड़फोड़ कर रहे हैं, तब विभाग अपना काम कैसे कर सकता है? ऐसी घटनाएं संगठित अपराध से मुख्यमंत्री के समझौता कर लेने का सबूत हैं.नीतीश कुमार जब हर बात का श्रेय खुद लेते हैं, तब राज्य की प्राकृतिक सम्पदा की लूट नहीं रोक पाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही लेनी चाहिए.




वहीं उन्होंने शराबबंदी को लेकर भी नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब कुछ सजायाफ्ता लोगों के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं? शराब से जुड़े मामलों के लिए न स्पेशल कोर्ट, न स्पीडी ट्रायल ऐसे में तो शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े 3 लाख 61 हजार मुकदमे भी वापस लिये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया ? किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ? गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया?