बेंगलुरू में सीएम सिद्धारमैया सरकार के शपथग्रहण समारोह में विपक्षी एकता की नींव कमजोर पड़ी तो परेशान नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए. नीतीश कुमार ने दिल्ली में पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. अगले दिन नीतीश कुमार की राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात हुई. इस दौरान विपक्षी एकता को लेकर बहुत सारी विस्तार से बातें हुईं. माना जा रहा है कि विपक्षी एकता के लिए एक बड़ी बैठक होने वाली है और उस बैठक की जगह और तारीख का ऐलान अगले 2-3 दिनों में हो सकता है.


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अप्रैल के मध्य में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर गए थे तो उस समय भी वे मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिले थे. उस समय कांग्रेस ने नीतीश कुमार को विपक्षी एकता स्थापित करने का जिम्मा दिया था. तब की कांग्रेस कुछ और थी और इस समय की कांग्रेस कुछ और है. तब राहुल गांधी मोदी सरनेम केस में दोषी करार दिए गए थे और लोकसभा की सदस्यता भी चली गई थी. उस समय कांग्रेस हताश थी. आज जब कांग्रेस ने बड़े अंतर से कर्नाटक जीत लिया है तो पहले से आत्मविश्वास से भरी हुई कांग्रेस बन चुकी है. अब वह फ्रंटफुट पर खेलने को तैयार है और क्षेत्रीय दलों को अपनी पिच पर लाकर बात करना चाहती है.


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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद कांग्रेस के सुर तो बदले ही हैं, ममता और अखिलेश यादव के भी सुर बदले हैं. कर्नाटक में कांग्रेस को जीत इसलिए मिली कि जेडीएस का वोट बैंक का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पास चला गया था. अब क्षेत्रीय दलों को यह चिंता सता रही है कि कर्नाटक की तरह कांग्रेस अन्य राज्यों में भी मजबूत हो गई तो उन्हीं को नुकसान होने वाला है. ममता और अखिलेश यादव शायद सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में इसलिए नहीं पहुंचे. इस समय कांग्रेस का जोश हाई है और वह अपनी पिच पर सहयोगियों को लाकर बात करना चाहती है तो दूसरी ओर, विपक्षी एकता को नीतीश कुमार ने अपना जुनून बना लिया है और पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए वह किसी भी कीमत पर विपक्षी एकता चाहते हैं.