नई संसद में सबसे पहले कौन सा बिल लाने वाली है मोदी सरकार? भवन ऐतिहासिक है तो बिल भी ऐतिहासिक ही होगा
पीएम मोदी के मन में इस बात को लेकर जरूर विचार चल रहा होगा कि नई संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला बिल कौन सा होना चाहिए?
New Parliament Building: वैसे तो पीएम मोदी (PM Modi) का अगला कदम क्या होगा, यह अनुमान लगाना राजनीतिक पंडितों के लिए बहुत ही कठिन होता है लेकिन समय के साथ इतना अंदाजा जरूर लग जाता है कि मोदी सरकार (Modi Govt) कुछ बड़ा करने जा रही है. आज के समय में जब पूरा विपक्ष नई संसद भवन (New Parliament Building) का पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन किए जाने के विरोध में खड़ा हो गया है, तब बीजेपी के बड़े नेता इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि नई संसद में सबसे पहले कौन सा विधेयक (First Bill in New Parliament) पेश किया जाए.
मोदी सरकार ने रिकॉर्ड समय में नई संसद भवन बनाकर मिसाल कायम की है. नई संसद भवन को गुलामी की बेड़ियों की निशानी से निजात पाने से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में नई संसद में जो पहला विधेयक होगा, वो भी ऐतिहासिक ही होगा, इसमें कोई दोराय नहीं होनी चाहिए. सरकार के अंदर, बीजेपी के अंदर और पीएम मोदी के मन में इस बात को लेकर जरूर विचार चल रहा होगा कि नई संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला बिल कौन सा होना चाहिए?
क्या UCC लाने वाली है सरकार?
अब बात करते हैं बीजेपी के कोर एजेंडे की. बीजेपी के 3 मुख्य कोर एजेंडे रहे हैं- पहला राम मंदिर, दूसरा कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करना और तीसरा समान नागरिक संहिता. राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्माणाधीन है और 1 जनवरी को पीएम मोदी इसका शुभारंभ करने वाले हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को निष्प्रभावी कर दिया है. अब बचा समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी. तो क्या नई संसद भवन में पहले बिल के रूप में समान नागरिक संहिता बिल पेश किया जाएगा.
पिछले कुछ समय से समान नागरिक संहिता को लेकर बीजेपी मुखर हुई है और उत्तराखंड के अलावा गुजरात में इस कानून को लागू करने के लिए मंथन चल रहा है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने तो अगले कुछ दिनों में यूसीसी लागू करने का ऐलान भी कर दिया है. तो क्या यह माना जाए कि नई संसद में पहले बिल के रूप में मोदी सरकार समान नागरिक संहिता बिल पेश करने वाली है. यह देखना बाकी होगा.
'वन नेशन-वन इलेक्शन' की बारी?
पीएम मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की वकालत करते रहे हैं. पीएम लालकिले की प्राचीर से भी कई बार इस बात को कह चुके हैं. इतना ही नहीं वो इस मुद्दे पर सभी दलों से सहयोग भी मांग चुके हैं. 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर पीएम मोदी का तर्क है कि देश हमेशा चुनावी मोड में ही रहता है, जिससे आदर्श आचार संहिता की बंदिशों के चलते विकास कार्यों पर रोक लग जाती है. पीएम मोदी का कहना है कि पूरे देश में लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायती राज के चुनाव एक ही बार में कराए जाने चाहिए. तो क्या वन नेशन वन इलेक्शन से संबंधित बिल नई संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला बिल होगा, यह भी गौर करने वाली बात होगी.
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जनसंख्या नियंत्रण पर आएगा बिल?
अब आते हैं बीजेपी से इतर आरएसएस के एजेंडे पर. आरएसएस के एजेंडे में इस समय सबसे बड़ा मसला जनसंख्या नियंत्रण का है. आरएसएस चीफ मोहन भागवत और संघ से जुड़े कई प्रमुख नेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण को समय की जरूरत बताई है. पिछले महीने 20 अप्रैल को ही संयुक्त राष्ट्र ने ऐलान किया है कि भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ दिया है. अब यह सुखद खबर है या फिर दुखदायी, यह तो वक्त बताएगा लेकिन आरएसएस की सोच यह है कि जनसंख्या विस्फोट पर लगाम लगाए बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता. आरएसएस की इस सोच से बीजेपी के भी कई नेता सहमति जताते हैं. ऐसे में संभव है कि नई संसद में पहले बिल के रूप में जनसंख्या नियंत्रण बिल पेश किया जाए. हालांकि सरकार के आला हलकों ने हमेशा जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाए जाने से इनकार किया है.
OPS का मुद्दा सुलझेगा?
ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस ऐसा मसला है, जिस पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को हर तरह से घेरने की कोशिश की है. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव जीतने की मुख्य वजहों में ओपीएस का नाम लिया जाता है. हिमाचल की देखादेखी छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड आदि राज्यों में भी OPS लागू करने का ऐलान कर दिया गया है. कर्नाटक चुनाव में भी ओपीएस को बड़े मसले के रूप में कांग्रेस ने पेश किया और पार्टी को वहां जीत हासिल हुई. इन्हीं सब को देखते हुए पिछले बजट सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पेंशन स्कीम को लेकर नया आइडिया दिया था और एक कमेटी बनाने का ऐलान किया था. हो सकता है नई संसद में पहले बिल के रूप में नेशनल पेंशन स्कीम से संबंधित बिल सरकार लेकर आए.