बोकारो: कोरोना ने तोड़ी गरीब-मजदूरों की 'कमर', दशहरा-दीपावली को लेकर नहीं दिख रही रौनक
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बोकारो: कोरोना ने तोड़ी गरीब-मजदूरों की 'कमर', दशहरा-दीपावली को लेकर नहीं दिख रही रौनक

कोरोना की मार ने गरीब-मजदूर की कमर तोड़ दी है. दुर्गा पूजा में खरीदारी के लिए इनके पास पैसा नहीं है. ऐसे में इनके पूजा की रौनक फीकी पड़ी हुई है और उत्साह भी नहीं बचा है.

बोकारो में कोरोना ने तोड़ी गरीब-मजदूरों की 'कमर'.

मृत्युंजय मिश्रा/बोकारो: कोरोना की सबसे बड़ी मार अगर किसी को पड़ी है तो वह रोज कमाने खाने वालों पर पड़ी है. चाहे वह रिक्शावाला, ठेलावला हो या फिर दिहाड़ी मजदूर. यही वजह है कि जहां एक तरफ त्यौहारों की रौनक है वहीं इनके चेहरे मायूस हैं. क्योंकि कोरोना ने इनके रोजी-रोटी पर असर डाला है. इनकी मानें तो पूजा में हर साल बच्चों के लिए कपड़ा-जूता खरीदते थे. लेकिन इस साल खाने का जुगाड़ नहीं हो रहा है तो भला बच्चों के लिए क्या खरीदें. 

दरअसल, कोरोना की मार ने गरीब-मजदूर की कमर तोड़ दी है. दुर्गा पूजा में खरीदारी के लिए इनके पास पैसा नहीं है. ऐसे में इनके पूजा की रौनक फीकी पड़ी हुई है और उत्साह भी नहीं बचा है. बता दें कि बोकारो में दुर्गा पूजा को लेकर बाजार सज कर तैयार हैं. पूजा की तैयारी में सक्षम वर्ग अपने बच्चों के लिए कपड़े-जूते आदि की खरीदारी करते दिख रहे हैं.

वहीं, दूसरी ओर कोरोना की मार झेल रहे ठेला चालक, टैंपों चालक, दूध वाले, छोटे-छोटे फुटफाथ के व्यापारी सभी की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. कोरोना काल ने इनके रोजगार को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. इनका कहना है कि कोरोना ने हमलोगों की रोजी रोटी छीन ली है, रिक्शे को लेकर सुबह काम पर निकलते हैं और दिनभर चौक चौराहे पर काम के इंतजार में बैठे रहते हैं. दिनभर में किसी-किसी मजदूर को ही मुश्किल से एक या दो काम मिल पाता है.

उन्होंने आगे कहा कि शाम ढलने तक इतने पैसे भी नहीं कमा पाते कि पूरे परिवार का भरण पोषण कर सकें. ऊपर से दुर्गा पूजा सर पर है. हमलोग जैसे तैसे पुराने कपड़ों में पूजा को पार कर लेंगे. लेकिन साल भर का त्यौहार है बच्चों के लिए नए कपड़े सहित अन्य खरीदारी तो करनी पड़ेगी. क्या करें इसके लिए भी हमारे पास पैसे नहीं हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन कठिन परिस्थितियों में भी रिक्शा चालकों में आपसी भाईचारा है. अलग-अलग समुदाय के रिक्शा चालक भी अपने दोस्तों लिए परेशान दिखे.

सबसे बड़े त्यौहार में उत्पन्न हुई परिस्थिति के लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना ने सब खराब कर दिया है. हिंदू भाइयों की सबसे बड़ी पूजा है, कैसे पार लगेगी पता नहीं. इस दौरान सभी रिक्शा चालकों में एक आस है कि कोरोना काल के बाद परिस्थिति बेहतर होगी, दिन बदलेंगे इसी सोच से जीवन रूपी रिक्शा को लगातार खींच रहें हैं.