बिहार राजनीति पर PK का बड़ा बयान, कहा- जो प्लान बनाया है, उसे जरूर करूंगा पूरा
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बिहार राजनीति पर PK का बड़ा बयान, कहा- जो प्लान बनाया है, उसे जरूर करूंगा पूरा

प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं. वह सिर्फ पहले सालों में किए गए काम को भुना रहे हैं.

चुनावी रणनीतिकार हैं प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो)

पटना: जनता दल यूनाइटेड (JDU) से निकाले गए प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने विभिन्न पैमानों पर बिहार के विकास को लेकर जो सवाल उठाए हैं. उस पर वो कायम हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि मैंने बहुत सोच-समझकर कदम उठाया है. अब मैं पीछे हटनेवाला नहीं हूं. मैंने जो ठान लिया है, उसे करके रहूंगा. असफलता से मैं डरता नहीं हूं. उन्होंने कहा कि मैंने अपने साथ एक करोड़ युवाओं को जोड़ने का प्लान बनाया है, तो उसे पूरा जरूर करूंगा, इसके लिए चाहे जो करना पड़े.

प्रशांत किशोर ने कहा कि एक दो बार नहीं पांच बार में भी अगर ये काम पूरा होता है, तो हम करेंगे. मुझे विश्वास है कि बिहार के युवा हमारी बात को समझेंगे और हमारी मुहिम के साथ जुड़ेंगे. उन्होंने कहा कि हम सामान्य घर से हैं. सरकारी स्कूल में पढ़े हैं और हमने जो कुछ भी बनाया है, वो अपनी मेहनत से बनाया है.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि 'बात बिहार की', हमने लांच की है. इस पर अब काम शुरू होगा. हमने वहीं आंकड़े जारी किए हैं, जो सरकारी हैं. उन्होंने कहा कि क्या कोई इन आंकड़ों को काट सकता है. अगर इन पर सरकार के किसी भी व्यक्ति को बहस करना है, तो वो किसी भी मंच पर हमसे बहस कर सकता है. पूरा बिहार देखेगा, हम बहस करने के लिए तैयार हैं.

बेवजह उछल रहे हैं सरकार के लोग
प्रशांत किशोर ने कहा कि हम किसी राज्य से बिहार की तुलना नहीं कर रहे हैं. हम बिहार की 2005 की स्थिति और 2020 की स्थिति पर बात कर रहे हैं. सरकार के लोग बेवजह ही उछल रहे हैं. बिहार 2005 में सबसे पिछड़ा था, आज भी है. 2005 में प्रति व्यक्ति आय जो थी, लगभग वही स्थिति आज भी है. बिजली हर घर पहुंची है, लेकिन खपत के मामले में हम सबसे पीछे हैं. तरक्की के किसी भी पैमाने पर अमूलचूल परिवर्तन अब तक नहीं हो सका है.

पूर्व जेडीयू नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार 2005 में बनी थी. उसके बाद से विकास हुआ है, लेकिन विकास के इंडेक्स में हम आगे नहीं बढ़ पाए हैं. आज हम राज्यों में 22 वें स्थान पर हैं. ये स्थिति कैसे बदलेगी. सरकार को इसके बारे में बताना चाहिए.

15 साल का ब्लू प्रिंट बताए सरकार
उन्होंने कहा कि 15 साल में हम नंबर वन राज्य तो नहीं बन सकते हैं, लेकिन नंबर दस तक जरूर आ सकते हैं. सरकार को इसका ब्लू प्रिंट जनता के सामने रखना चाहिए. ये बताना चाहिए कि प्रति व्यक्ति आय कैसे अगले 15 साल में आठ गुना बढ़ेगी, ताकि बिहार 10 वें स्थान पर पहुंच सके.

मॉडल अच्छा, तो गरीबी क्यों नहीं मिटी
जेडीयू नेताओं की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास मॉडल को बेहतर बताने पर प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर ये मॉडल सही है, तो क्या बिहार सबसे पिछड़े राज्य से आगे बढ़ गया है. क्या यहां शिक्षा की स्थिति सुधर गई है. नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं है. भले ही छात्र-छात्राओं को साइकिल और पोशाक राशि दी गई है, लेकिन उन्हें पढ़ाया सही ढंग से नहीं जा रहा है. सरकार को बताना चाहिए, आखिर पढ़ाई में सुधार कैसे होगा.

सुशील मोदी पर टिप्पणी नहीं
प्रशांत किशोर ने डिप्टी सीएस सुशील मोदी (Sushil Modi) की ओर से उनके बयान पर की गई टिप्पणी पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि हमारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पांच-छह साल का जो साथ रहा है, वो केवल राजनीतिक नहीं रहा है. हमारा दो मुद्दों पर मतभेद है, जिसके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं. अगर केवल सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी के साथ हैं, तो इस पर सवाल उठेंगे.

क्या PU को मिलेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा
उन्होंने कहा कि अगर बिहार के विकास को लेकर समझौता कर रहे हैं, तो हम उसका समर्थन करेंगे, लेकिन ये बताया जाना चाहिए कि इस साथ से क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा. क्या बिहार को पीएम पैकेज का कोई हिस्सा दिया जाएगा या फिर पटना विश्वविद्यालय (Patna University) को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाएगा. अगर ये किया जाता है, तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे.

सिर्फ विस्तार के लिए साथ ठीक नहीं
प्रशांत किशोर ने फिर सवाल उठाया कि गोडसे और गांधी की विचारधारा साथ नहीं चल सकती है. ये सिर्फ इसलिए नहीं होनी चाहिए कि जेडीयू को बिहार के बाहर अपना विस्तार करना है. दिल्ली में दो सीट पर चुनाव लड़ना है. वो भी बड़े अंतर से हरना है.

बाहर के लोग कब बिहार आएंगे
उन्होंने बिहार में पलायन का मुद्दा उठाया और कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास का मॉडल इतना सही है, तो बिहार के लोगों को ही क्यों बाहर जाना पड़ रहा है. यहां की मेधा को बाहर क्यों कमाई करनी पड़ रही है. अगर राज्य में संसाधन मिलेगा, तो बाहर लोग क्यों जाएंगे. आखिर वो दिन कब आएगा, जब गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लोग बिहार में काम करने के लिए आएंगे.

मैं कोई मुख्यमंत्री नहीं था
प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विकास मिशन में काम करने को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब भी दिया और कहा कि हां, उस समय मैं बिहार को छोड़कर चला गया था. मैं कोई मुख्यमंत्री नहीं था, जो बदलाव कर पाता. ये तो मुख्यमंत्री को देखना है. बिहार की विकास दर को लेकर तमाम तरह के दावे किए जाते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि बिहार की विकास दर दूसरे राज्यों के बराबर ही है.

राजनीति में उलझ गए CM
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि 2005 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता में आए थे तो पहले सात साल में उन्होंने बिहार के विकास के लिए अच्छा काम किया, लेकिन पिछले सात साल से राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बनीं कि मुख्यमंत्री उन्हीं में उलझ कर रह गए हैं. वो पहले सात सालों में किए गए विकास पर ही राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल के सालों में बिहार के विकास के क्षेत्र में कुछ भी विशेष नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं. वह सिर्फ पहले सालों में किए गए काम को भुना रहे हैं.