झारखंड में जदयू के लिए रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर, 20 सीटों पर होगा फोकस
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झारखंड में जदयू के लिए रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर, 20 सीटों पर होगा फोकस

प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने झारखंड के कुछ इलाकों का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसमें 20 सीटों पर पार्टी को फोकस करने को कहा है.

प्रशांत किशोर झारखंड चुनाव के लिए जेडीयू की रणनीति बना रहे हैं. (फाइल फोटो)

पटनाः झारखंड में चुनाव चिह्न की लड़ाई में उलझा जदयू राज्य से ही इसका तोड़ निकालने में लगा है. पार्टी झारखंड चुनावों के सहारे राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना देख रही है. इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावों के रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लगाया गया है. प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने झारखंड के कुछ इलाकों का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसमें 20 सीटों पर पार्टी को फोकस करने को कहा है.

इस साल के अंत में होनेवाले झारखंड विधानसभा चुनाव में जदयू भले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रही है, लेकिन पार्टी का फोकस 20 सीटों पर होगा. इसकी रणनीति प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने तैयार कर दी है. ये सीटें बिहार सीमा से लगे झारखंड के जिलों की हैं. साथ ही इसमें वो सीटें भी शामिल हैं, जहां पिछले चुनावों में जदयू दूसरे या तीसरे स्थान पर रही थी. 

जदयू ने अपनी रणनीति में 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. साथ ही प्रदेश में कम से कम छह फीसदी वोट पाने का भी लक्ष्य बनाया है. जिन सीटों पर जदयू ने फोकस करने का प्लान बनाया है, उनमें जातीय समीकरण का भी ख्याल रखा गया है. पार्टी को अगर वोट और सीटें मिल गयीं, तो उसके राष्ट्रीय दल बनने की दावेदारी पक्की हो जायेगी, जिससे चुनाव चिह्न का मसला भी हल हो जायेगा. 

2014 के चुनाव में जदयू झारखंड में महागठबंधन के दलों के साथ मिल कर लड़ी थी, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पायी थी, जबकि 2009 के चुनाव में पार्टी एनडीए का हिस्सा थी, तब उसे झारखंड में दो सीटें मिली थीं. अब 2019 के चुनाव में जदयू बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के कामों को आधार पर झारखंड में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. ब्रांड नीतीश कुमार के सहारे ही जदयू झारखंड में अपनी पैठ को मजबूत करने का प्रयास करेगी. हाल के महीनों में पटना में झारखंड को लेकर जदयू दो बार मंथन कर चुकी है. 

झारखंड के दर्जनों नेताओं ने पार्टी का दामन भी थामा है, लेकिन इनमें कोई भी दमदार चेहरा नहीं रहा है. वहीं, पार्टी की ओर से पहले ही साफ कर दिया गया है कि वो झारखंड में भाजपा से अलग होकर इस बार अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी. चूंकि झारखंड में भाजपा की सरकार है, तो जदयू वहां भाजपा को ही चुनौती देगी, लेकिन ये चुनौती कितनी बड़ी होती है, ये तो चुनाव के नतीजों से ही साफ हो पायेगा. 

राजद के एमएलसी सुबोध राय का कहना है कि भाजपा और जदयू के बीच में सब ठीक नहीं चल रहा है. महीनों से दोनों दलों के बीच शह-मात का खेल चल रहा है. इसी को लेकर नीतीश कुमार झारखंड में भाजपा को मजा चखाने की तैयारी में हैं. दोनों के बीच झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान चूहे-बिल्ली का खेल होगा. राजद के विधायक भाई वीरेंद्र भी दोनों दलों के अलग चुनाव लड़ने पर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि दोनों की बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, लेकिन दलों का अपना फैसला है. 

राजद से अलग भाजपा के नेता इस मुद्दे पर संभल कर बोल रहे हैं. भाजपा कोटे से बिहार सरकार में मंत्री विनोद नारायण झा का कहना है कि हर दल अपने विस्तार के लिए काम करता है. ऐसे में अगर जदयू की ओर से प्रयास किये जा रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है. नतीजा क्या होता है, ये आनेवाले समय में पता चलेगा. 

वहीं, जदयू के नेता और उद्योग मंत्री श्याम रजक का कहना है कि भाजपा के साथ हमारे दल का गठबंधन सिर्फ बिहार में हैं. हम कई राज्यों में चुनाव लड़ें हैं, जहां हमें सफलता मिली है. मणिपुर में हमारे सात प्रत्याशियों ने चुनाव जीता है, जहां हमारे दल को मुख्य विपक्षी की भूमिका मिली है. ऐसे ही हम पूरी ताकत के साथ झारखंड में लड़ने जा रहे हैं. रणनीति पीके बना रहे हैं या कोई और इस पर फैसला पार्टी के आला नेताओं को लेना है. संगठन का काम जदयू में आरसीपी सिंह देख रहे हैं.