बिहार: क्वारेंटाइन केंद्रों ने थाम रखी है कोरोना वायरस की 'रफ्तार'
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बिहार: क्वारेंटाइन केंद्रों ने थाम रखी है कोरोना वायरस की 'रफ्तार'

अनुपम कुमार ने बताया कि, बुधवार तक के आंकड़ों के मुताबिक, आपदा राहत केन्द्रों की संख्या 152 है, जिसका 70 हजार लोग लाभ उठा रहे हैं.

 

केंद्रों के कारण कोरोना पर लगाम लगाने में मदद मिली है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पटना: बिहार में बाहर से आने वाले लोगों को 14 दिनों तक अलग रखने के लिए बने कुछ क्वारेंटाइन केंद्रों में सुविधा को लेकर भले ही सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि इन केंद्रों के कारण कोरोना पर लगाम लगाने में मदद मिली है.

दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को सीधे इन केन्द्रों में भेज दिया जा रहा है. प्रवासी मजदूर के सीधे घर नहीं जाने से संक्रमण का खतरा काफी कम हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने भी कहा कि, ट्रेनों से आने वाले प्रवासी मजदूर सीधे अगर गांवों में पुहंच जाते और दिनचर्या में लग जाते, तो स्थिति गंभीर हो सकती थी. सरकर भी आने वाले मजदूरों की संख्या को देखते हुए कोरोना आपदा केंद्रों और क्वारेंटाइन केंद्रों को लेकर अध्ययन कर रही है.

बिहार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि, बुधवार तक के आंकड़ों के मुताबिक, आपदा राहत केन्द्रों की संख्या 152 है, जिसका 70 हजार लोग लाभ उठा रहे हैं. प्रखंड क्वारेंटाइन केन्द्रों की संख्या बढ़कर 8,661 हो गई है, जिसमें 6 लाख 40 हजार 399 लोग रह रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि, तीन मई के बाद 788 प्रवासी व्यक्तियों में कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के मामले पाए गए हैं. इसमें दिल्ली से 249, महाराष्ट्र से 187 और गुजरात से आने वाले 158 व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है.

बता दें कि, प्रवासी मजदूरों के आने के बाद बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि देखी गई. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल से बिहार लौटने वाले प्रवासियों में 12 फीसदी और महाराष्ट्र से आने वाले 11 फीसदी लोग संक्रमण में पॉजिटिव पाए गए हैं.

कोरोना के शुरुआती चरण में राज्य में संक्रमितों की संख्या कम थी. देश के बाहर से और दूसरे राज्यों से आए लोगों तथा उनके संपर्क वाले ही संक्रमित मिले. तीन मई के बाद दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आने लगे. इन सभी को प्रखंड स्तरीय अथवा अपग्रेड पंचायत क्वारेंटाइन केंद्रों में रखा गया है. इन केंद्रों में इनकी सुविधाओं का पूरा ख्याल रखते हुए सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं. यहां भोजन, आवास एवं चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.

राज्य सरकार का दावा है कि कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थिति को आपदा मानते हुए इन केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन के साथ-साथ मच्छरदानी, मस्किटो ऑयल, दरी, बिछावन, कपड़े, बर्तन की व्यवस्था की है. जिन प्रवासी मजदूरों को बिहार लाया जा रहा है, उनकी सघन स्क्रीनिंग के बाद ही क्वारेंटाइन केंद्रों पर रखा जा रहा है. कोरोना संक्रमण की चेन की आशंका को देखते हुए प्रखंड स्तर पर ऐसे केंद्र बनाए गए हैं. संदिग्ध के सैंपलों की जांच के बाद पॉजिटिव पाए गए लोगों को अलग अस्पतालों तथा आइसोलेशन सेंटर पर भेज दिया जा रहा है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भी प्रखंड के क्वारेंटाइन केंद्रों को कारगर बताया है. कोविड-19 से बचाव के लिए चल रहे कार्यक्रमों की उच्चस्तरीय समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा, 'कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने की दिशा में ब्लॉक क्वारेंटाइन केंद्र सबसे महत्वपूर्ण है. यह कम्युनिटी स्प्रेड रोकने में कारगर होगा. यदि प्रवासी मजदूरों को इन केंद्रों पर नहीं रखा जाएगा, तो गांवों में भी संक्रमण फैल जाएगा. इससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है.'