संसद में मैथिलि भाषा में अपनी बात रख सकेंगे मिथिलांचल के सांसद
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संसद में मैथिलि भाषा में अपनी बात रख सकेंगे मिथिलांचल के सांसद

बिहार में मिथिलांचल वासियों के लिए अच्छी खबर है. अब मिथिलांचल के सांसद मैथिलि भाषा में अपनी बात संसद में रख पायेगें.

राज्यसभा में मैथिल भाषा में भी भाषण दे सकते हैं सांसद. (फाइल फोटो)

दरभंगाः बिहार में मिथिलांचल वासियों के लिए अच्छी खबर है. 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में अब राज्यसभा सांसद आठवीं सूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अपनी बात रखते नजर आयेगें. वैंकेया नायडू ने जब सदन में सभापति का पद संभाला था, तभी उन्होंने कहा था कि सदन में सांसद 22 भाषाओं में अपनी पसंद की भाषा में बोल सकें. इसके लिए अनुवादकों की व्यवस्था की जाएगी. इसलिए अब मिथिलांचल के सांसद मैथिलि भाषा में अपनी बात रख पायेगें.

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उच्च सदन के सांसद संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी भाषण दे सकते हैं. इसके लिए अनुवाद की सुविधाएं मुहैया होंगी. 
उन्होंने कहा कि अपनी भाषा में बोलने से अपनी बात और भावनाएं पूरी तरह से जाहिर की जा सकती है. भाषा कि वजह से किसी भी सांसद को अपनी बात रखने में परेशानी नहीं होना चाहिए.

सभापति ने कहा वो चाहते थे कि सूची की सभी 22 भाषाओं के लिए अनुवाद रखे जाएं. अब 18 जुलाई से शुरू होने वाले मॉनसून सत्र से ये हकीकत बन जाएगा. बतादें कि वेंकैया नायडू ने जब सदन में सभापति का पद संभाला था. तो उन्होंने कहा था कि सदन में सांसद 22 भाषाओं में अपनी पसंद की भाषा में बोल सकें. इसके लिए अनुवादकों की व्यवस्था की जाएगी.

राज्यसभा में डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी के लिए अनुवादक रखे गए. वहीं इनके अलावा इन 22 भाषाओं में से असमी, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषा के लिए पहले ही सदन में अनुवादक रखे हुए हैं. लोकसभा में भी बोडो, मैथिली, मणिपुरी, मराठी और नेपाली के लिए अनुवादक रखे जा रहे हैं. हालांकि, सांसदों को अनुवादकों के लिए पहले नोटिस देना होगा.