रांची स्थित रिम्स (RIMS) के ही ऑन्कोलॉजी विभाग के दहलीज पर कई ऐसे मरीज है जो असहाय पड़े हुए हैं. उनका एक ही सवाल है कि आखिरकार इस गंभीर बीमारी से कैसे लड़ा जाए.
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सौरभ शुक्ला, रांची: मंगलवार को दुनियाभर में 'विश्व कैंसर दिवस' (World Cancer Day) मनाया जाएगा. कैंसर जैसी घातक और गंभीर बीमारी से लड़ने और इसके बचाव के लिए उपाय भी बताए जाएंगे, लेकिन झारखंड के रांची स्थित रिम्स (RIMS) के ही ऑन्कोलॉजी विभाग के दहलीज पर कई ऐसे मरीज है जो असहाय पड़े हुए हैं.
उनका एक ही सवाल है कि आखिरकार इस गंभीर बीमारी से कैसे लड़ा जाए, जब व्यवस्था ही पूरी तरह से चौपट हो गई है. दरअसल, धनबाद जिले के गोमो से आई मरीज राजू महतो की बेटी सुमन कुमारी भी रिम्स के कैंसर विभाग की व्यवस्था से परेशान हैं.
वहीं, धनबाद जिले के आमटाल से आई मरीज रीता महतो (45 साल) की बेटी संध्या भी कैंसर विभाग में इलाज में लापरवाही की बात कह रही है. कुछ यहीं हाल मां के इलाज के लिए बोकारो जिले के चास से आए उमा शंकर श्रीवास्तव का भी है. चिकित्सक इलाज में लापरवाही करते हैं और गरीबी उन्हें मजबूरी में रिम्स के कैंसर विभाग तक खींच लाती है.
इधर, इस बाबत रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह ने कहा कि रिम्स में हमने पहला मेडिकल ऑन्कोलॉजी अपॉइंट किया है. इसके साथ ही काम में सुधार हुआ है. निश्चित रूप से लोगों को भी जानकारी है कि रिम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग में मेडिकल ऑन्कोलॉजी नियुक्त किए गए हैं, इसलिए मरीजों संख्या बढ़ी है. उन्होंने माना कि रिम्स के कैंसर विभाग में बेड की संख्या कम है.