झारखंड विधानसभा सत्र में लिए गए कई ऐतिहासिक फैसले, कई विधेयक हुए पास
राज्य का विकास भी तेजी तो हो रहा है जनाब कक्षाएं भी पूरी हो रही है. जनता को उनके हक का अधिकार मिल रहा है. सरकार ने जो नियोजन नीति बनाई थी.
रांची : झारखंड विधानसभा में पांच दिनों से चलने वाले शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया. सत्र के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए. साथ ही सत्र में कई विधेयक पास हुए.
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि सरकार के तीन साल पूरे होने जा रहे हैं और तब से सत्र हुआ सभी सत्रों में हंगामा करने का चरित्र विपक्ष का रहा है. साथ ही कहा कि सत्र राज्य के विकास के लिए जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जहां जिन क्षेत्रों में समस्याएं हैं विधायक अपनी क्षेत्रों की समस्याएं सत्र में उठाते हैं, जो भी प्रश्न होते हैं उन सारे प्रश्नों को सदन को अवगत कराया जाता है. सभी प्रश्नों का समाधान सरकार करती है मगर यह नहीं चाहते हैं कि इस तरह का सत्र चले विपक्ष हमेशा चाहती है कि सरकार विकास ना करें. सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाया जाए, लेकिन विपक्ष अपनी मंशा में सफल नहीं हो पा रहे हैं.
जनता को मिल रहा उनके हक का अधिकार
इस राज्य का विकास भी तेजी तो हो रहा है जनाब कक्षाएं भी पूरी हो रही है. जनता को उनके हक का अधिकार मिल रहा है. सरकार ने जो नियोजन नीति बनाई थी. उस नियोजन नीति को रद्द करने के पीछे इनका हाथ है और इसके पीछे आपको पता है कि जो शिकायतकर्ता थे. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश शारदा जी जो खुद एक टेबल है और उनके साथ को स्टेशन में सारे लोग यूपी-बिहार के थे. यह सिर्फ बाहरी ताकतों को लाकर इस राज्य को लूटने का काम कर रहे हैं,यह मनसा उनकी सफल नहीं हो रही है इसलिए यह सत्र में हंगामा करते हैं.
नियोजन नीति को रद्द करवाने का काम कर रही भाजपा
मधुलिका ठाकुर ने कहा कि झारखंड के बेरोजगार युवाओं को जो नौकरी के आस लगाए हुए हैं. उनको कहना चाहता हूं कि यह आपकी सरकार है और आपने ही सरकार बनवाया है और आपकी सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार है. आप किसी तरह के बाहकावे में ना आए,जो सरकार ने नियोजन नीति बनाई थी पूर्व के नीति में सिर्फ यूपी-बिहार के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बना था. यहां के नियुक्तियों को मारने का काम किया और यहां के युवाओं के नौकरी पर कब्जा किया था, इस नीति से सिर्फ यहां के युवाओं को नौकरी मिलती, क्या जरूरत पड़ी कि भाजपा के लोगों ने इस नियोजन नीति को रद्द करवाया.
इनपुट - मनीष मेहता