देवघर में स्थित है मां दुर्गा का अनोखा मंदिर, 12 स्थानों की मिट्टी और महासागरों के जल से होती है माता की पूजा
प्रशांत महासागर, अरब सागर, अंटार्टिका महासागर, भरत महासागर के अलावा देश-विदेश की विभिन्न नदियों के पवित्र जल से मां को महास्नान कराया गया. यहां भगवती को अष्टकलश से स्नान कराया जाता है.
देवघरः Navratri Durga Puja:देवघर में दुर्गा पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है लेकिन यहां की पूजा पद्धति इसे अन्य शहरों से भिन्न करती है. देवसंघ के नवदुर्गा में मां दुर्गा को सात समुद्र, सात नदियां और सात तालाब के जल से स्नान कराया जाता है. देवसंघ नवदुर्गा मंदिर की स्थापनाकाल से ही देवसंघ में हर साल अष्टकलश से मां दुर्गा की विशेष पूजा होती है. महासप्तमी से ही यहां का माहौल भक्तिमय हो जाता है. महासप्तमी के दिन पवित्र जल से महास्नान कराया गया.
महासागरों के जल से मां ने किया स्नान
प्रशांत महासागर, अरब सागर, अंटार्टिका महासागर, भरत महासागर के अलावा देश-विदेश की विभिन्न नदियों के पवित्र जल से मां को महास्नान कराया गया. यहां भगवती को अष्टकलश से स्नान कराया जाता है. तांत्रिक विधि से यहां मंत्रोच्चारण कर पूजा की जाती है. मंत्रों के बीच अनुष्ठान का संगम इलाहाबाद में नदियों के संगम जैसा आध्यात्मिक लहर पैदा करता है. आश्रम से जुड़े भक्त या शिष्य जो विदेशों में रहते हैं साल में एक बार जब भी यहां आते हैं वह विदेश से महासागर का जल लेकर आते हैं.
12 किस्म की मिट्टी से होती है मां की पूजा
यहां नद, नदी एवं हरद से मां की पूजा होती है. 12 किस्म की मिट्टी से पूजा होती है. जिसमें गौशाला की मिट्टी, दीमक लगने वाली मिट्टी, सांढ़ जहां रहते हैं, उस स्थल की मिट्टी, जंगली सूअर के निवास वाली मिट्टी इसी तरह तंत्र विद्या में शामिल उन सभी स्थलों की मिट्टी का प्रयोग होता है. इसके बाद कुश के जल. पुजारी कहते हैं कि द्रव्य गुण एवं स्थान के महत्व के हिसाब से ग्रंथों में वर्णित पूजा सामग्री का उपयोग पूजन में किया जाता है.
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