दुमका में 12वीं की छात्रा की हत्या के मामले को लेकर NCPCR गंभीर, करेगा NIA को जांच सौपने की मांग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि आयोग झारखंड के दुमका जिले में 12वीं कक्षा की छात्रा की हत्या मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से कराने की सिफारिश करेगा.
Ranchi: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि आयोग झारखंड के दुमका जिले में 12वीं कक्षा की छात्रा की हत्या मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से कराने की सिफारिश करेगा. आरोपी ने कथित तौर पर बात नहीं करने के चलते लड़की को आग के हवाले कर दिया था.
कानूनगो ने आरोप लगाया कि दस्तावेजों में उम्र की पुष्टि के बावजूद बांग्लादेश के संगठनों द्वारा वित्त पोषित सोशल मीडिया अभियान यह साबित करने के लिए चलाए गए कि लड़की नाबालिग नहीं थी. उन्होंने कहा, 'मामले का जांच अधिकारी शाहरुख का पता नहीं बता सका. मैंने उसके रहने की जगह के बारे में पूछा था.
एनसीपीसीआर की टीम ने उसके रिश्तेदार के बारे में पूछा, जिसके साथ वह रहता था, तो पुलिस ने बताया कि वह फरार है. ये सब बातें इशारा कर रही हैं कि कुछ तो गड़बड़ है. कोई आरोपी का पक्ष ले रहा है.' आरोप है कि बातचीत करने से मना करने पर 23 अगस्त को शाहरुख नाम के युवक ने छात्रा को आग के हवाले कर दिया था, जिसकी 28 अगस्त को मौत हो गई थी.
लड़की की मौत के बाद व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे. लड़की की मौत के मामले की जांच के मद्देनजर कानूनगो और उनकी टीम ने दुमका का दौरा किया था. आयोग के अध्यक्ष ने कहा, 'जानबूझकर यह छिपाया गया कि वह नाबालिग थी. पॉक्सो के तहत प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया था. यह पीड़िता के साथ अन्याय का स्पष्ट मामला है.'
उन्होंने दावा किया, 'बांग्लादेशी संगठन आरोपी के पक्ष में सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए थे. ये अभियान अभी भी जारी है. पांच-छह दिन पहले मुझे शिकायत मिली थी कि यूट्यूब पर चैनल चलाने वाला मुंबई का एक व्यक्ति पीड़िता के पिता को धमका रहा है जो अपनी बेटी की हत्या के गवाह हैं. वे इसे ‘ऑनर किलिंग’ के तरह पेश करने का प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि शाहरुख के लिए सोशल मीडिया के जरिये वित्तीय सहायता जुटाने के प्रयास भी जारी हैं.'