रांचीः हसीन वादियां,घनघोर जंगल और सड़क पर सरपट दौड़ती गाड़ियो का यह नजारा तैमारा घाटी का है. जिसे आज रहस्मय घाटी के तौर पर जाना जा रहा है. अगर आप इस तेमारा घाटी या इसके आसपास के क्षेत्र में जायगे तो यकीन मानिए आपका मोबाइल फोन खुद ब खुद आपके कंट्रोल से बाहर हो जाएगा. यहीं नहीं मोबाइल फोन का डेट ओर टाइम 2024 हो जाएगा. जैसे ही आप यहां से आगे बढ़ जायगे, तो आपका फोन सही समय दिखाना शुरू कर देगा. वही इस इलाके में कस्तूरबा गांधी बालिका बिद्यालय भी है जहां बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाना संभव नहीं हो पाता है. क्योंकि जब भी बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाने की कोशिश होती है तो यह अटेंडेंस 2024 का बन जाता है, और जब वह संबंधित इंसान उस इलाके से वापस अपने घर को जाता है तो फिर उसके मोबाइल पर उस दौरान आई हुई कॉल की डिटेल 2024 शो करती.


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इलाके में प्रवेश करते हुए बदल जाता है समय और तारीख 
स्वर्णिमा टोप्पो स्थित कस्तूरबा स्कूल में काम करने वाली महिला सरिता देवी ने बताया कि अचानक से मोबाइल में तारीख के बदल जाने से एक अजीब सी बेचैनी होने लगती है. मन में थोड़ा डर सा उत्पन्न हो जाता है इसी वजह से उन्होंने बड़े मोबाइल का इस्तेमाल ही करना बंद कर दिया है. उनका कहना है कि अभी तो लोगों को आदत सी हो गई है लेकिन किसी भी नए व्यक्ति के साथ जब यह क्या होता है तो वह डर सा सहम से जाता है. साथ ही अगर इलाके मैं रहने वाले छात्रों का कहना है कि यह वाक्य स्थानीय लोगों के साथ नहीं होता बल्कि कोई दूसरे इलाके से यहां आता है तो उसके साथ भी ऐसा मामला सामने आता है. बहरहाल तैमारा घाटी और आसपास पास के इलाके में मोबाइल के वक्त और तारीख के बदल जाने का मामला रिसर्च का विषय है.



चुंबकीय विकिरण की बात आ रही सामने


पर्यावरण विद नीतीश प्रियदर्शी का कहना है कि यह घटना उनके भी संज्ञान मे आई है. कई लोगों ने उन्हें मैसेज भी किया है जिसमें इस तरह की बातें बताई है. रामपुर से तैमारा घाटी के रास्ते में इस तरह की घटना हो रही है. मामले पर उन्होंने कहा कि फोन में गड़बड़ी या फिर मोबाइल नेटवर्क में कोई समस्या इस घटना की वजह नहीं हो सकती है. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि वहां कोई चुंबकीय विकिरण है जो मोबाइल को प्रभावित कर रही हैं और इस गुत्थी को सुलझाने के लिए शोध की जरूरत है.