रविशंकर की कहानी हर उन छात्रों के लिए प्रेरणादायक है, जो संसाधन के अभाव में भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराते हैं.
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पटना : आज हम आपको 'गुदड़ी के लाल' से मिलवाने जा रहे हैं. जी हां, बिहार के अरवल जिला के टाउन हाईस्कूल से पढ़ाई पूरने वाले रविशंकर ने जिंदगी में कुछ बड़ा करने का ठान लिया. उनके सपने को साकार करने में बिहार के ही डिहरी के आलोक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. रविशंकर जिला के पुरान गांव के निवासी हैं.
रविशंकर की कहानी हर उन छात्रों के लिए प्रेरणादायक है, जो संसाधन के अभाव में भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराते हैं. रविशंकर ने अपनी मेहनत के बदौलत ही ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट परीक्षा (2017-2018) में चौथा स्थान प्राप्त किया है.
रविशंकर ने परेशानियों के साथ लड़ते-लड़ते इस मुकाम को हासिल किया है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा अरवल में शुरू होती है. इसके बाद उन्होंने पटना का रुख किया. पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली आए. दिल्ली आने के साथ ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य तय किया. लक्ष्य था जज बनना. रविशंकर ने कभी भी नो तो परेशानियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और न ही उम्र को. उनका मानना है कि पढ़ाई की कोइ उम्र नहीं होती.
रविशंकर के इस सफर को अंजाम तक पहुंचाने में जिस शख्स की बड़ी भूमिका है वह भी बिहार के ही एक छोटे से शहर से आते हैं. डिहरी के आलोक रंजन के पास भी पढ़ाई के अलावे कुछ नहीं था. अपनी मेहनत के बल पर वह आज कई बच्चों के भविष्य संवारने में लगे हैं. वह दस वर्षों से लॉ इंस्टीट्यूट चलाते हैं. बिहार के होने के नाते वह अपने राज्य के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हैं.
इस वर्ष उनके ही संस्थान से तैयारी करने वाली उत्तर प्रदेश के एटा की रहने वाली आकांक्षा तिवारी ने पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है.
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