बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय में शौचालय निर्माण भी शामिल है. 2009 में इसे धरातल पर उतारा गया था. नगर विकास और आवास विभाग की योजना के तहत राजधानी पटना में 32 डीलक्स टॉयलेट बनाए गए. लगभग 18 लाख रुपए खर्च किए गए.
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पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में करोड़ों रुपये की लगत से बनाई गई 32 डीलक्स टॉयलेट का हाल बेहाल है. मेंटेनेंस के अभाव में हालत हद से भी बदतर हो गई है. स्मार्ट सिटी को लेकर बनाये गये 120 मॉड्यूलर टॉयलेट में ताला लटका हुआ है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय में शौचालय निर्माण भी शामिल है. 2009 में इसे धरातल पर उतारा गया था. नगर विकास और आवास विभाग की योजना के तहत राजधानी पटना में 32 डीलक्स टॉयलेट बनाए गए. लगभग 18 लाख रुपए खर्च किए गए. लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने के कारण इन टॉयलेट के हाल बेहाल हैं.
बांकीपुर बस स्टैंड, गांधी मैदान गेट नंबर पांच और मीठापुर बस स्टैंड पर बनाए गये डीलक्स टॉयलेट की स्थिति काफी खराब है. लोगों का कहना है कि मजबूरी में वो इस शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. इसके इस्तेमाल के लिए शुल्क का भुगतान भी करते हैं.
वहीं, पटना को स्मार्ट बनाने (Smart City Project) के लिये स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, जिसको लेकर फरवरी में पूरे पटना में 120 मॉड्यूलर टॉयलेट का उद्घाटन किया गया. मेयर सीता साहू और तात्कालिक नगर आयुक्त अनुपम सुमन ने इसका उद्घाटन किया था ताकि लोगों को सुविधा मिल सके. छह महीने के अंदर ही नगर निगम की पूरी व्यवस्था तालों में कैद हो गई है. हालत यह है कि इनकम टैक्स गोलंबर, हार्डिंग रोड, बिजली विभाग कार्यालय, सचिवालय भवन, हाईकोर्ट, बिस्कोमान भवन के सामने बने शौचालयों के साथ पटना के तमाम जगहों पर इन शौचालयों में टाला लटका हुआ है.
एक तरफ जहां सरकार की तरह से किसी भी योजना पर करोड़ो रुपये खर्च किये जाते हैं. योजना के पूरा होने पर अपनी उपलब्धि बताई जाती है, लेकिन इनपर बाद में ध्यान नहीं दिया जाता है. यही कारण है कि पटना के डीलक्स टॉयलेट और मॉड्यूलर टॉयलेट का यह हाल है.