नीतीश कुमार ने पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा देने की मांग उठाई. वहीं, अब उनकी इस मांग पर आरजेडी तंज कस रही है.
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पटनाः पटना यूनिवर्सिटी (पीयू) के केंद्रीय पुस्तकालय के 100 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपित वैंकेया नायडू थे. साथ ही कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार और राज्यपाल फागू चौहान भी शामिल हुए. कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा देने की मांग उठाई. वहीं, अब उनकी इस मांग पर आरजेडी तंज कस रही है.
दरअसल, नीतीश कुमार ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा मिलना चाहिए था. उन्होंने इशारों में ही केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग को खारिज कर दिया गया. अगर केंद्र सरकार इस विश्वविद्यालय को अपना लेती तो यह एशिया का सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बनता.
साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पटना विश्वविद्यालय को विकसित करने के लिए जो आर्थिक सहायता होगी जरूर देगी. उपराष्ट्रपति आज खुद यहां आए हैं हमे ये उम्मीद है कि हमारी मांग जरूर पूरी होगी.
नीतीश कुमार के इस बयान पर अब आरजेडी तंज कस रही है. और निशाना साध रही है. आरजेडी के प्रवक्ता भाई बिरेंद्र ने कहा है कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा देने की मांग काफी समय से उठ रही है. पीएम मोदी के पास नीतीश कुमार ने भी इसकी मांग की थी. लेकिन डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी यह काम नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी बिहार के साथ अन्याय कर रही है. सरकार के साथ होने के बाद भी नीतीश कुमार की मांग को केंद्र सरकार नहीं सुन रही है. उपराष्ट्रपति भी यहां पहुंचे हैं अब उन्हें इसके लिए कुछ करना चाहिए.
वहीं, आरजेडी के पूर्व सांसद जयप्रकाश यादव ने कहा कि इस मामले में हमारी पार्टी काफी समय से आंदोलन करती आ रही है. विधानसभा और लोकसभा में इस मामले को उठाया गया है. लेकिन यह हास्यपद है कि नीतीश कुमार केंद्र सरकार से मांग कर रही है. जहां बिहार में डबल इंजन का सरकार है. बीजेपी-जेडीयू दोनों मिलकर सरकार चला रही है. केंद्र में बीजेपी की सरकार है लेकिन मांग को पूरा नहीं कर रही है.
जयप्रकाश यादव ने नीतीश कुमार पर तीन तलाक के मुद्दे पर विरोध को लेकर कहा कि एक तरफ विरोध करते हैं. वहीं, इसके खिलाफ वोट डालने की बात आई तो जेडीयू संसद छोड़कर चली गई, तो यह किस तरह का विरोध है.