आरजेडी नेताओं के बयानों से ऐसा लग रहा है मानों अब बस किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हों और सारी उम्मीदें उन्हें अब बस सीएम नीतीश कुमार से रह गई है.
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पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी पूरी तरह शून्य की स्थिति में चली गई है. तेजस्वी यादव लंबे समय से सक्रिय राजनीति से लापता हैं. हालांकि आरजेडी नेता इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. लेकिन, आरजेडी नेताओं के बयानों से ऐसा लग रहा है मानों अब बस किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हों और सारी उम्मीदें उन्हें अब बस सीएम नीतीश कुमार से रह गई है.
बिहार में विपक्ष खुलेआम कई बार नीतीश कुमार को एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दे चुकी है. पहले ही आरजेडी के नेता शिवचंद्र राम ने कहा है कि नीतीश कुमार को बीजेपी को लात मारकर गरीबों, दलितों, शोषितों के साथ आना चाहिए. वहीं, अब शिवानंद तिवारी भी नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के गुण हैं.
शिवानंद तिवारी ने कहा, 'नीतीश कुमार ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं. वो पीएम बनने की क्षमता रखते हैं. मैं खुद नीतीश कुमार की राजनीति को पिछले 30 सालों से देख रहा हूं. उन्हें बीजेपी छोड़ विपक्ष का नेतृत्व करना चाहिए. विपक्ष में अभी पूरे देश में है नेतृत्व की शून्यता है. नीतीश कुमार के आसपास रहनेवाले लोग बीजेपी के दलाल हैं. आसपास के लोग नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री तक सीमित रखना चाहते हैं.'
शिवानंद तिवारी आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं और ऐसे में उनका ये बयान कई मायनों में अहम माना जा रहा है. सिर्फ शिवानंद तिवारी या आरजेडी नहीं बल्कि कांग्रेस के भी तेवर नीतीश कुमार को लेकर नरम हो गए हैं.
वहीं, अगर हम जेडीयू की बात करें, तो बिहार में एक ऐसा ध्रुव बन चुकी है, जिसके बिना किसी भी दल का सत्ता में आना मुमकिन नहीं लगता है. 2015 में जदयू ने आरजेडी का साथ दिया था, तो पार्टी 10 सालों के बाद सत्ता में लौट पाई थी, लेकिन दो साल के अंतर पर ही गठबंधन टूट गया और जेडीयू ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया और फिर से दोनों सत्ता में आ गए.
बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी भी एक साल का समय है. ऐसे में राजनीति क्या करवट लेती है इसपर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.