सुशील मोदी ने बताया कि पिछले चुनाव में उनके गठबंधन में जेडीयू शामिल नहीं था, बावजूद एनडीए बिहार में 31 लोकसभा सीट जीती थी.
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रजनीश/पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में 65 बनाम 35 फीसदी की लड़ाई होने की बात कह रहे हैं. यानी बिहार में एनडीए के पक्ष में 65 फीसदी लोग गोलबंद होंगे और इसको लेकर वह तर्क दे रहें है, लेकिन आरजेडी इसे सिरे से ख़ारिज करते हुए एनडीए की गलतफहमी बता रही है.
सुशील मोदी का कहना है कि जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन स्वभाविक गठबंधन नहीं था, इसलिए ये टूट गया. बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन को स्वभाविक करार देते हुए लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम सामने आने की बात कर रहे हैं. सुशील मोदी ने बताया कि पिछले चुनाव में उनके गठबंधन में जेडीयू शामिल नहीं था, बावजूद एनडीए बिहार में 31 लोकसभा सीट जीती थी. जेडीयू के साथ आ जाने से एनडीए सांसदों की संख्या 33 हो गई है. ऐसे में एनडीए गठबंधन मजबूत हुई है. इसबार बिहार में 65 बनाम 35 की लड़ाई होगी.
आरजेडी ने किया पलटवार
सुशील मोदी के इस बयान को लेकर आरजेडी ने भी पलटवार किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने कहा कि सुशील मोदी कुछ भी बोलते रहते हैं. उनकी बातों को आरजेडी गंभीरता से नहीं लेती है. उनका कहना है कि नीतीश कुमार जब लालू प्रसाद के साथ आए तो उनके साथ कुछ लोग जुड़े. इनमें कुछ महादलित, कुछ अतिपिछड़ा और कुछ पसमांदा समाज के लोग शामिल थे. नीतीश कुमार के पाला बदलने से उनके वोटर उनके साथ नहीं गए.
'जहानाबाद में क्यों हार गए?'
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने सुशील मोदी के दावों को खारिज करते हुए बताया कि यदि 65 और 35 ही समीकरण हो गया तो जहानाबाद में एनडीए उम्मीदवार चुनाव क्यों हार गए. उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ थे तो जहानाबाद में 30 हजार से जीत मिली और जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हो गए तो आरजेडी 35 हज़ार वोटों से जीत दर्ज की है. यानी वोट बढे हैं. इसके आलावा अररिया लोकसभा, जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में भी आरजेडी को सफलता मिली. उन्हें सिर्फ भभुआ में जीत मिली है. लिहाज़ा 65 बनाम 35 की एनडीए की दावेदारी गलतफहली है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि चुनाव में पता चल जाएगा.
शिवानन्द तिवारी ने कहा, 'कहा 65 बनाम 35 की लड़ाई बोलकर गलतफहमी पाल रहे हैं मोदी. नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद सामाजिक न्याय के पक्षधर लोग उनके साथ नहीं गए हैं. जनता सवाल पूछ रही है कहां है रोजगार. बीजेपी प्रतिवर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. साढ़े चार साल का वक्त गुजर गया, किसी को रोजगार नहीं मिला है.'