मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि, सरकार ने यह निर्णय बहुत देर से लिया है. लॉकडाउन के 2 महीने होने के बाद, सरकार जागी है. उन्होंने कहा कि, सरकार अगर पहले मास्क-साबुन देती, तो ऐसी स्थिति नहीं होती.
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पटना: कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए, बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार ने, हर परिवार को मास्क (Mask) और साबुन देने का फैसले किया है. इस पर आरजेडी ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि, सरकार ने यह निर्णय बहुत देर से लिया है.
उन्होंने कहा कि, लॉकडाउन (Lockdown) के लगभग दो महीने होने के बाद, सरकार जागी है. सरकार अगर पहले मास्क और साबुन देती, तो ऐसी स्थिति नहीं होती. जब संक्रमण बढ़ गया, तो सरकार साबुन-मास्क देने की बात कह रही है. दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के हर परिवार को एक साबुन और चार मास्क देने की घोषणा की थी और इसकी विस्तृत गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है.
पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, हर परिवार पर एक सौ रुपए मास्क और साबुन के लिए खर्च किए जा सकेंगे. पंचायत के मुखिया ये राशि पंचम वित्त आयोग से मिली राशि से खर्च करेंगे.
बता दें कि, सोमवार को जिलों के डीएम और एसपी के साथ हुई मीटिंग में सीएम ने इस बात का निर्देश अधिकारियों को दिया. मुख्यमंत्री ने राज्य में रहनेवाले हर परिवार को साबुन और चार मास्क देने का निर्देश अधिकारियों को दिया. सीएम के निर्देश के बाद, ग्रामीण इलाकों में कैसे मास्क और साबुन का वितरण होगा. इसको लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है.
गाइडलाइन के मुताबिक, साबुन की कीमत अधिकतम 20 रुपए होगी, जिसकी खरीद मुखिया की ओर से स्थानीय बजार से की जाएगी. इसके अलावा, मास्क की कीमत अधिकतम 20 रुपए तय की गयी है. चार मास्क हर परिवार को देने हैं, इसके मुताबिक, 80 रुपए तक के मास्क दिए जा सकते हैं.
इनकी खरीद जीविका या फिर खादी भंडार से करने का निर्देश दिया गया है. गाइडलाइन में लिखा गया है कि, अगर दोनों जगह मास्क नहीं मिलें, तो मुखिया पंचायत में ही मास्क बनवा सकते हैं. इसके अलावा कहीं और से मास्क की खरीद नहीं की जानी है.
मास्क और साबुन का वितरण ग्रामीण स्तर पर, वार्ड सदस्यों के हाथों किया जाना है. इसकी खरीद के लिए पंचम वित्त आयोग की सिफारिश के बाद मिली राशि से की जानी है. इससे पहले पंचायतों में सैनिटाइजेशन का काम करवाने का निर्देश दिया गया थी, जिसकी राशि भी पंचम वित्त आयोग से खर्च की जानी थी. इसके बाद पंचायतों को सरकार की ओर से राशि जारी की गई थी.