उपेंद्र कुशवाहा को फिर लगा बड़ा झटका, RLSP के बागी विधायकों का गुट JDU में शामिल
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उपेंद्र कुशवाहा को फिर लगा बड़ा झटका, RLSP के बागी विधायकों का गुट JDU में शामिल

आरएलएसपी पार्टी के दो विधायक समेत एक एमएलसी ने खुद को जेडीयू में विलय करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा.

उपेंद्र कुशवाहा को फिर लगा बड़ा झटका, RLSP के बागी विधायकों का गुट JDU में शामिल

पटनाः लोकसभा चुनाव 2019 में आरएलएसपी पार्टी की बुरी हार हुई है. पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन दोनों सीटों से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में आरएलएसपी पार्टी खतरे में आ गई है. वहीं, खतरा तब और भी बढ़ गया जब रविवार को दो विधायक समेत एक एमएलसी ने खुद को जेडीयू में विलय करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा.

उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ने के बाद से ही पार्टी में घमासान मचा हुआ है. एक के बाद एक जहां बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए. वहीं, आरएलएसपी को दो विधायक और एक एमएलसी बागी हो गए. यहां तक की उन्होंने अपने गुट को असली आरएलएसपी बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की. वहीं, चुनाव आयोग ने चुनाव के बाद इस पर फैसला करने की बात कही थी.

वहीं, अब उपेंद्र कुशवाहा को फिर बड़ा झटका लगा है. आरएलएसपी के दो बागी विधायक ललन पासवान और सुधांशु शेखर समेत एमएलसी संजीव श्याम सिंह ने खुद को जेडीयू में विलय के लिए बिहार विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है. जिसके बाद उनका विलय जेडीयू में किया गया.

आपको बता दें कि आरएलएसपी पार्टी से बिहार में केवल दो विधायक और एक एमएलसी ही हैं जो अब जेडीयू में शामिल हो गए हैं. साथ ही लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी के एक भी उम्मीदवार ने जीत दर्ज नहीं की. जिसके बाद अब पार्टी में एक भी सांसद, विधायक और एमएलसी नहीं हैं.

सुधांशु शेखर हरलाखी (मधुबनी) विधायक है. जबकि ललन पासवान चेनारी (सासाराम) विधायक हैं. दोनों ही विधायकों ने पहले ही उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अब उन्होंने खुद को जेडीयू पार्टी में शामिल कर लिया है. ऐसे में आरएलएसपी पार्टी पूरी तरह से ध्वस्त होने के कगार पर आ गई है.

गौरतलब है कि, इससे पहले भी कई नेता और कार्यकर्ताओं ने आरएलएसपी पार्टी छोड़ दिया है. सबसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा ने आरएलएसपी छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया था. वहीं, चुनाव से पहले पार्टी के महासचिव नागमणि सिंह को पार्टी से निकाला गया और वह भी जेडीयू में शामिल हो गए.